अनील अंबानी: कैसे दुनिया के पूर्व छठे सबसे अमीर व्यक्ति दिवालिया बन गए
अग॰, 23 2024अनिल अंबानी की वित्तीय गिरावट: एक गहराई से विश्लेषण
एक समय दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति माने जाने वाले अनिल अंबानी ने पिछले एक दशक में अपने वित्तीय साम्राज्य की चौंकाने वाली गिरावट देखी है। जहां एक तरफ उन्होंने नए व्यापारिक क्षेत्रों में कदम रखा, वहीं दूसरी ओर उनके विभिन्न व्यापारिक प्रयास असफल साबित हुए, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति बद से बदतर हो गई। इस सफर की शुरुआत 2012 में हुई, जब उनकी व्यापारिक परेशानियाँ सतह पर आने लगीं।
प्रारंभिक विफलताएँ और कानूनी चुनौतियाँ
अनिल अंबानी के वित्तीय साम्राज्य की परेशानियों का पहला संकेत उनके गैस आधारित पावर प्रोजेक्ट के असफल होने से मिला। उत्तर प्रदेश के डॉडरी में स्थापित किया गया यह प्रोजेक्ट अपनी ही समस्याओं में उलझा रहा। 2009 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण को खारिज कर दिया, जिससे यह प्रोजेक्ट ठप हो गया। इसके बाद उनके एंटरटेनमेंट सेक्टर में किए गए निवेश, जैसे कि अड्लैब्स और ड्रीमवर्क्स के साथ हुई डील्स भी अपेक्षित लाभ देने में असफल रहीं।
रिलायंस कम्युनिकेशन्स का कर्ज और दिवालियापन
अनिल अंबानी का टेलीकॉम कारोबार, रिलायंस कम्युनिकेशन्स (आरकॉम), उनकी वित्तीय समस्याओं का केंद्र बन गया। बढ़ते कर्ज और वित्तीय समस्याओं के कारण आरकॉम को 2019 में दिवालियापन की कार्यवाही का सामना करना पड़ा। इस वित्तीय संकट ने तब और गहरा हो गया जब भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने आरकॉम को एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने में असफल रहने पर अनिल अंबानी को जेल भेजने की धमकी दी। इस नाजुक समय पर उनके भाई मुकेश अंबानी ने हस्तक्षेप किया और आवश्यक धनराशि जमा कर अनील को जेल जाने से बचा लिया।
और भी कानूनी चुनौतियाँ
इसके बाद तीन चीनी बैंकों ने लंदन की एक अदालत में अनील अंबानी पर 680 मिलियन डॉलर के ऋण डिफॉल्ट का केस दर्ज किया। इस मामले में अनील ने तर्क दिया कि उन्होंने केवल एक गैर-बाध्यकारी 'पर्सनल कम्फर्ट लेटर' दिया था, कोई गारंटी नहीं। लेकिन यह मामला आज भी अनसुलझा है।
यूके कोर्ट में दिवालियापन घोषणा
2020 में, अनील अंबानी को इन कानूनी और वित्तीय समस्याओं के बीच यूके कोर्ट में दिवालिया घोषित करना पड़ा। वित्तीय संकट उनके व्यापारिक साम्राज्य के लिए टिकाऊ बन गया था। 2021 में रिलायंस कैपिटल, जो उनके समूह की एक प्रमुख कंपनी थी, ने 24,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स पर डिफॉल्ट करने के बाद दिवालियापन के लिए फाइल किया। मुंबई की पहली मेट्रो लाइन बनाने वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर भी वित्तीय समस्याओं में घिरी और संपत्ति बिक्री से धन की प्रतीक्षा करते हुए बॉन्ड भुगतान चूक किया।
सेबी द्वारा प्रतिबंध
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अनील अंबानी को पांच साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया। यह प्रतिबंध उनकी वित्तीय स्थिति को और जटिल बना दिया। इन सभी चुनौतियों के बावजूद, अनील अंबानी का विभिन्न उद्योगों पर प्रभाव अपरिवर्तित है, हालांकि उनके एक समय के समृद्ध साम्राज्य का भविष्य अनिश्चित है।
अनील अंबानी का वर्तमान स्थिति और भविष्य
अनिल अंबानी के इन कठिन हालात ने उन्हें एक बार फिर से संघर्ष की राह पर ला खड़ा किया है। उनकी व्यवसायिक रणनीति और नेतृत्व कौशल पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जो एक समय उनकी प्रमुख पहचान थी। लेकिन अंबानी परिवार का नाम और प्रतिष्ठा एक मजबूत संरचना के रूप में बना हुआ है, और यह देखना रुचिकर रहेगा कि अनिल इन हालातों से कैसे उभरते हैं।
एक दशक पहले जिस व्यक्ति को सफलता की चरम सीमाओं पर माना जाता था, आज वह वित्तीय चुनौती और कानूनी मुद्दों से जूझ रहा है। उनके व्यापारिक प्रयास असफल रहे, कर्ज का भार बढ़ता गया और अंततः उनके साम्राज्य का पतन हुआ। अब, हर कदम पर अनिल अंबानी को अपने लिए एक नई राह ढूंढनी होगी और यह देखना होगा कि क्या वे फिर से उभर सकते हैं और अपने पुराने अस्तित्व को पुनः स्थापित कर सकते हैं।