ITR-U का 4 साल का नया समय‑सीमा: अब करदाताओं को मिल रहा बड़ा राहत

ITR‑U क्या है और नई अवधि कैसे काम करती है?
संघीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने बजट 2025 में घोषणा की कि अब ITR‑U दाखिल करने की समय‑सीमा संबंधित आकलन वर्ष के अंत से चार साल यानी 48 महीने होगी। 2022 के बजट में पहली बार पेश किए गए इस प्रावधान से करदाता अपने पहले की गई रिटर्न में हुई गलती को सुधार सकते थे, पर पहले इसकी सीमा केवल दो साल थी। अब इस समय‑सीमा को बढ़ाकर सरकार ने करदाताओं को काफी राहत दी है।
इस सुविधा के तहत करदाता चाहे उन्होंने मूल रिटर्न, देर से रिटर्न, संशोधित रिटर्न या बिल्कुल ही रिटर्न नहीं दायर किया हो, सभी को ITR‑U के माध्यम से सही कर सूचना देनी होगी। सेक्शन 139(8A) के तहत यह प्रक्रिया चलती है और यह सभी वर्गों — व्यक्तिगत करदाता, कंपनियां, साझेदारी फर्म, और यहाँ तक कि ऑडिट केस — पर लागू होती है।

चार साल के विस्तार के प्रमुख बिंदु और महत्वपूर्ण प्रावधान
1. समय‑सीमा – यदि करदाता ने आकलन वर्ष 2021‑22 (वित्तीय वर्ष 2020‑21) के लिए रिटर्न नहीं दायर किया, तो अब उसे 31 मार्च 2026 तक ITR‑U के तहत सुधार करने का अवसर होगा।
2. सुधार के प्रकार – आय में गलती, छूट की अनदेखी, कटौतियों का लापरवाह उल्लेख, या किसी भी तरह की प्रविष्टि त्रुटि को ठीक किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, यदि आपके पास 1.5 लाख की निश्चित देनदारियों (deductions) का दावा नहीं था, तो अब आप इसे जोड़ सकते हैं।
3. जोखिम और अतिरिक्त कर – यदि कोई करदाता पूरी तरह से रिटर्न नहीं दायर कर रहा है और ITR‑U के माध्यम से दाखिल कर रहा है, तो उसे अतिरिक्त 70% तक का कर चुकाना पड़ सकता है। यह अतिरिक्त कर मुख्यतः उन मामलों में लागू होता है जहाँ रिटर्न का अभाव है और कर बकाया स्पष्ट नहीं है।
4. उपयोग की सीमाएँ – निल (nil) रिटर्न, नुकशान (loss) रिटर्न, या उन मामलों में जहाँ अपडेट से कुल कर देनदारी घटेगी या रिफंड बढ़ेगा, ITR‑U का प्रयोग नहीं किया जा सकता। साथ ही, जब कर मामले में खोज, ज़ब्ती या अभियोजन की प्रक्रिया चल रही हो, तब भी यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।
5. पेनल्टी और ब्याज – ITR‑U दाखिल करने पर भी बकाया कर पर ब्याज व पेनल्टी लग सकती है, यदि कर नियत समय पर नहीं भरा गया हो। इसलिए सुधार के साथ साथ बकाया राशि का निपटान समय पर करना आवश्यक है।
6. प्रवर्तन की प्रक्रिया – आयकर विभाग ने इस नई अवधि के बारे में विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। करदाता को आयकर पोर्टल में लॉगिन करके अपना पुराना रिटर्न लोड करना होगा, फिर ‘Updated Return’ विकल्प चुनना होगा और आवश्यक संशोधन करके फाइल करना होगा।
7. तकनीकी सहायता – पोर्टल पर इस्तेमाल करने वाले यूज़र इंटरफ़ेस में सुधार किए गए हैं, जिससे डेटा एंट्री आसान हो गई है। साथ ही, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) सेक्शन में भी नई अवधि के बारे में विस्तृत जवाब उपलब्ध हैं।
8. व्यावसायिक प्रभाव – छोटे व्यवसायियों और फ्रीलांसर्स के लिए यह बदलाव अस्थायी कर बोझ को कम कर सकता है। कई ने पिछले वर्षों में कर दरों या कटौतियों की ग़लत समझ के कारण बड़ा दंड भुगतना पड़ा था; अब उनके पास ठीक करने के लिए पर्याप्त समय है।
बजट 2025 में इस निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि सरकार आयकर अनुपालन को बढ़ावा देने के साथ करदाताओं के लिए लचीलापन भी देना चाहती है। चार साल की विस्तारित अवधि से यह आशा की जा रही है कि कई पुराने केस बंद हो जाएंगे और कर संग्रह में भी सुधार होगा। इस दिशा में भविष्य में और भी सुधारात्मक उपायों की संभावना खुली हुई है।