जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: उमर अब्दुल्ला की ऐतिहासिक जीत

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: उमर अब्दुल्ला की ऐतिहासिक जीत अक्तू॰, 8 2024

उमर अब्दुल्ला की ऐतिहासिक जीत और नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रभावी उपस्थिति

जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा मील का पत्थर स्थापित करते हुए, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गंदरबल और बडगाम सीटों पर 2024 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की। इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में उनकी जीत ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की मजबूत पकड़ और प्रभावशाली राजनीतिक स्थिति को दर्शाया। बडगाम में उमर अब्दुल्ला ने 18,485 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि गंदरबल में उन्हें 10,574 वोटों का मत मिला। यह निर्वाचन क्षेत्र कई पीढ़ियों से अब्दुल्ला परिवार का गढ़ रहा है, जो उनके ऐतिहासिक और पारिवारिक राजनीतिक दायित्व का हिस्सा है।

इतिहास में गंदरबल का महत्व

गंदरबल निर्वाचन क्षेत्र अब्दुल्ला परिवार की राजनीतिक जड़ों का प्रतीक रहा है। 1977 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने यहां से चुनाव लड़ा था। इसके बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला ने 1983, 1987 और 1996 के चुनावों में इसी क्षेत्र से अपनी सीट को प्रभावित किया। उमर अब्दुल्ला ने भी 2008 में इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता और 2009 से 2014 तक मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की। इससे स्पष्ट होता है कि गंदरबल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए एक मजबूत राजनीतिक आधार का कार्य किया है।

बडगाम में उभरती हुई चुनावी चुनौतियाँ

वहीं, बडगाम में उमर अब्दुल्ला का मुख्य मुकाबला पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार और शिया नेता आगा सैयद मुन्ताज़िर से था, जो पूर्व हुर्रियत नेता आगा सैयद हसन के पुत्र हैं। संप्रदायिक और क्षेत्रीय समर्थन को देखते हुए, उमर अब्दुल्ला को नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन बार के विजेता आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी से समर्थन मिला, जो बडगाम क्षेत्र के एक प्रभावशाली और सम्मानित नेता माने जाते हैं।

राजनीतिक संतुलन और पार्टी की रणनीति

2024 के चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 51 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि उनसे संबद्ध कांग्रेस ने 32 सीटों पर जोर आजमाया। इसके अतिरिक्त माकपा और राष्ट्रीय पैंथर पार्टी को दो विशेष सीटें दी गईं। इस रणनीति का उद्देश्य न केवल पार्टी की उपस्थिति को बढ़ाना था, बल्कि चुनावी परिणामों में सार्थक सफलता हासिल करना भी था। उमर अब्दुल्ला ने चुनावी नतीजों के प्रति विश्वास प्रदर्शित करते हुए जोर दिया कि यह जनता का निर्णय है जो मंगलवार दोपहर तक स्पष्ट हो जाएगा। उनके द्वारा पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर दिया गया, ताकि चुनाव परिणामों में किसी तरह की धांधली को रोका जा सके।

10 टिप्पणि

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    Radhakrishna Buddha

    अक्तूबर 10, 2024 AT 05:53
    ये सब ऐतिहासिक जीत की बातें सुनकर लगता है जैसे किसी ने फिल्म बना दी हो... पर असल में ये सिर्फ एक परिवार का राजनीतिक अधिकार बना हुआ है। क्या अब तक कोई और उम्मीदवार इस जगह पर चुनाव लड़ सकता है या सब कुछ अब्दुल्ला नाम से ही चलता है?
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    Govind Ghilothia

    अक्तूबर 10, 2024 AT 11:21
    श्रीमान उमर अब्दुल्ला के द्वारा गंदरबल और बडगाम में प्राप्त की गई विजय, जम्मू एवं कश्मीर के राजनीतिक इतिहास के अत्यंत महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। इस विजय का अर्थ केवल वोटों की संख्या नहीं, बल्कि जनता के विश्वास का प्रतीक है।
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    Sukanta Baidya

    अक्तूबर 12, 2024 AT 04:48
    अरे भाई, ये सब तो बस परिवार का बिजनेस है। जैसे बाबा ने शुरू किया, बेटे ने चलाया, अब बेटा ने दुकान बंद नहीं की। अब तो यहां का चुनाव तो वोटिंग नहीं, वोटिंग फैमिली ट्रेडमार्क है।
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    Adrija Mohakul

    अक्तूबर 13, 2024 AT 04:21
    बडगाम में आगा सैयद मुंताज़िर के खिलाफ जीत बहुत बड़ी बात है... मैंने सुना है कि उनके पास शिया समुदाय का बहुत सपोर्ट है। उमर अब्दुल्ला को रूहुल्ला मेहदी का समर्थन मिलना बहुत अहम था। असल में ये एक अच्छी रणनीति थी।
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    Dhananjay Khodankar

    अक्तूबर 13, 2024 AT 12:20
    इतना बड़ा विजय और कोई नहीं बोल रहा कि अब ये सब लोग क्या करेंगे? जनता ने एक संदेश दिया है... अब सिर्फ वादे नहीं, बल्कि काम करने की जरूरत है। नहीं तो अगले चुनाव में फिर से वोट बदल जाएगा।
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    shyam majji

    अक्तूबर 13, 2024 AT 16:13
    गंदरबल में जीत तो बड़ी बात है पर अब देखना होगा कि वो यहां क्या बनाते हैं न कि बस नाम लेते रहें
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    shruti raj

    अक्तूबर 14, 2024 AT 15:51
    ये सब एक बड़ा धोखा है 😒 जब तक लोग अब्दुल्ला नाम देखेंगे तब तक वोट देंगे... असल में ये सब एक नियोनाजी राजनीति है। और जो लोग इसे जीत कह रहे हैं वो सब अब्दुल्ला के नौकर हैं 💀
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    Khagesh Kumar

    अक्तूबर 15, 2024 AT 21:08
    बडगाम में रूहुल्ला मेहदी का समर्थन बहुत जरूरी था। अगर वो नहीं होते तो ये जीत मुश्किल होती। लोग अब भी विश्वास करते हैं जब एक अच्छा नेता आए।
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    Ritu Patel

    अक्तूबर 17, 2024 AT 16:23
    अब तो ये चुनाव भी बन गए रियलिटी शो। अब्दुल्ला परिवार का नाम ही ट्रेंड कर रहा है। जनता को ये नहीं पता कि अब वो उनके लिए क्या कर रहे हैं? ये सब बस नाम की चाल है।
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    Deepak Singh

    अक्तूबर 18, 2024 AT 04:35
    मुझे लगता है, यदि आप गंदरबल के इतिहास को ध्यान से देखें, तो यह स्पष्ट है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक विचारधारा की जीत है। इसलिए, यह एक ऐतिहासिक घटना है।

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