महाराष्ट्र में 76,000 करोड़ रुपये की लागत से वधावन ग्रीनफील्ड डीप ड्राफ्ट पोर्ट के निर्माण की मंजूरी

महाराष्ट्र में 76,000 करोड़ रुपये की लागत से वधावन ग्रीनफील्ड डीप ड्राफ्ट पोर्ट के निर्माण की मंजूरी जून, 20 2024

महाराष्ट्र में वधावन ग्रीनफील्ड डीप ड्राफ्ट पोर्ट: एक महत्वाकांक्षी परियोजना

केंद्रीय कैबिनेट ने महाराष्ट्र के वधावन में एक नये ग्रीनफील्ड डीप ड्राफ्ट पोर्ट के निर्माण की मंजूरी दे दी है। यह पोर्ट दहानु के पास, मुंबई से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर बनाया जाएगा। इस परियोजना का अनुमानित बजट 76,000 करोड़ रुपये है।

कैबिनेट की मंजूरी और संयुक्त उद्यम

इस परियोजना को वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड द्वारा विकसित किया जाएगा, जो जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी लिमिटेड (74% हिस्सेदारी) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (26% हिस्सेदारी) का संयुक्त उद्यम है। यह परियोजना दो चरणों में 'लैंडलॉर्ड मॉडल' के तहत विकसित होगी।

परियोजना के प्रमुख उद्देश्य

इस परियोजना में मुख्य इन्फ्रास्ट्रक्चर, टर्मिनल और अन्य व्यावसायिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में किया जाएगा। इसमें पोर्ट और राष्ट्रीय राजमार्गों के बीच सड़क संपर्क की स्थापना और मौजूदा रेल नेटवर्क और आगामी समर्पित रेल माल गलियारे के साथ रेल लिंक का विकास शामिल है। यह कार्य क्रमशः सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।

आर्थिक लाभ और रोजगार के अवसर

आर्थिक लाभ और रोजगार के अवसर

यह पोर्ट आर्थिक गतिविधियों को भारी प्रोत्साहन देगा और लगभग 12 लाख व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेगा। पोर्ट पर नौ कंटेनर टर्मिनल, चार बहुउद्देशीय बर्थ, चार तरल कार्गो बर्थ, एक रो-रो बर्थ और एक कोस्ट गार्ड बर्थ होंगे। परियोजना के पूर्ण होने पर, वधावन पोर्ट विश्व के शीर्ष दस बंदरगाहों में स्थान पाएगा।

पर्यावरणीय चुनौतियाँ और समाधान

इस परियोजना का सामना पिछले दशक में पर्यावरणीय चिंताओं के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि, समुचित पर्यावरणीय मंजूरियाँ प्राप्त कर ली गई हैं जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि परियोजना पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होगी।

सामरिक महत्व और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

इस पोर्ट की स्थिति इसे पीएम गति शक्ति कार्यक्रम के साथ संरेखित करती है और यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के माध्यम से व्यापार प्रवाह में सहायता करेगा।

सीमावर्ती निर्माण और भौतिक संरचना

सीमावर्ती निर्माण और भौतिक संरचना

इस परियोजना में समुद्र में 1,448 हेक्टेयर क्षेत्र की पुनर्जन्या और 10.14 किलोमीटर ऑफशोर ब्रेकवाटर और कंटेनर/कार्गो भंडारण क्षेत्रों का निर्माण शामिल है। परियोजना के पूरा होने पर इसमें 298 मिलियन मेट्रिक टन सालाना संचयी क्षमता होगी, जिसमें 23.2 मिलियन टईयू का कंटेनर हैंडलिंग क्षमता शामिल होगी।

निष्कर्ष

सरकार का यह निर्णय आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन से न केवल क्षेत्र का विकास होगा, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।

13 टिप्पणि

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    Sri Vrushank

    जून 21, 2024 AT 18:53
    ये सब बड़े बड़े प्रोजेक्ट बस नेताओं के नाम के लिए होते हैं फिर धीरे-धीरे भूल जाते हैं। 76,000 करोड़ का पैसा कहाँ जा रहा है ये कोई नहीं बताता।
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    mohit malhotra

    जून 22, 2024 AT 11:59
    इस परियोजना का लैंडलॉर्ड मॉडल एक बहुत ही स्मार्ट एप्रोच है। JNPA की 74% हिस्सेदारी से तकनीकी और ऑपरेशनल एक्सपर्टाइज़ का फायदा मिलेगा, जबकि महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड की 26% हिस्सेदारी से स्थानीय जरूरतों का ध्यान रखा जा सकता है। यह संयुक्त उद्यम भारत के बंदरगाह विकास के लिए एक मॉडल बन सकता है।
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    Gaurav Mishra

    जून 23, 2024 AT 21:18
    76,000 करोड़? बस एक टर्मिनल के लिए काफी है।
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    Aayush Bhardwaj

    जून 24, 2024 AT 14:33
    ये सब नेताओं का अपना नाम लिखने का खेल है। जब तक गाँव के बच्चे नहीं खाते, तब तक ये बंदरगाह बनेंगे। और फिर बर्बाद हो जाएंगे। बस नाम बच जाएगा।
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    Vikash Gupta

    जून 25, 2024 AT 22:42
    इस पोर्ट की नींव में बस एक भारत का सपना देखा जा रहा है - जहाँ एक छोटे से गाँव के किनारे से दुनिया का व्यापार बहने लगे। ये सिर्फ लकड़ी और लोहा नहीं, ये तो एक नए युग की शुरुआत है। जब तक आप नहीं देखते कि एक गाँव के बच्चे अपने बाप के साथ टर्मिनल पर खड़े होकर जहाज़ देख रहे हैं, तब तक ये सिर्फ आँकड़े हैं।
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    Arun Kumar

    जून 27, 2024 AT 06:07
    ये पोर्ट बनेगा तो वधावन अब सिर्फ एक नाम नहीं, एक लोकेशन बन जाएगा। मुंबई की भीड़ से निकलकर यहाँ तक आना भी एक अनुभव हो जाएगा। अब देखना है कि इसके आसपास के गाँव कैसे बदलते हैं।
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    Deepak Vishwkarma

    जून 27, 2024 AT 14:31
    हमने अपने खुद के बंदरगाह बनाने का फैसला किया है। ये बस एक शुरुआत है। जब तक हम अपने आप को दुनिया के बंदरगाहों से बेहतर नहीं बनाएंगे, तब तक हम बाकी दुनिया के पीछे भागते रहेंगे।
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    Anurag goswami

    जून 29, 2024 AT 06:12
    इस परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है, ये अच्छी बात है। लेकिन क्या इसकी लंबी अवधि के लिए निगरानी का प्लान भी है? कभी-कभी मंजूरी मिल जाने के बाद निगरानी भूल जाते हैं।
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    Saksham Singh

    जून 30, 2024 AT 22:18
    सुनो, ये सब बड़े प्रोजेक्ट तो हमेशा से होते रहे हैं - जब तक एक आदमी के घर में बिजली नहीं आती, तब तक ये सब नाटक है। और फिर जब बंदरगाह बन जाता है, तो उसके पास के गाँव के लोगों को भी नहीं बताया जाता कि उनकी जमीन का क्या हुआ। और फिर वो बताते हैं कि ये रोजगार का अवसर है। रोजगार? जब तक आप एक ट्रक ड्राइवर को नहीं देखते कि वो इस पोर्ट में काम कर रहा है, तब तक ये सब फेक है।
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    Ashish Bajwal

    जुलाई 1, 2024 AT 03:32
    इस प्रोजेक्ट का नाम वधावन है... और लगता है कि ये वधावन ही हो जाएगा... बस नाम तो रख दिया है अच्छा... अब देखना है कि इसका विकास कैसे होता है... और किसके लिए होता है... क्योंकि अक्सर तो ये सब बड़े लोगों के लिए होता है... ना कि छोटे लोगों के लिए...!!!
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    Biju k

    जुलाई 1, 2024 AT 09:31
    ये सिर्फ एक पोर्ट नहीं, ये एक नई उम्मीद है! 💪 जब एक गाँव का बच्चा अपने पापा के साथ एक जहाज़ को देखेगा, तो उसका दिमाग बदल जाएगा। ये बंदरगाह हमारे बच्चों के सपनों का आधार बनेगा। जागो भारत! 🇮🇳
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    Akshay Gulhane

    जुलाई 2, 2024 AT 11:04
    क्या हम इस पोर्ट को एक व्यावसायिक उपकरण के रूप में देख रहे हैं या एक सांस्कृतिक और भू-राजनीतिक बिंदु के रूप में? अगर यह सिर्फ व्यापार के लिए है, तो यह एक बड़ी गलती होगी। अगर यह हमारी पहचान का हिस्सा बन जाएगा, तो यह वास्तव में अद्वितीय होगा।
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    Deepanker Choubey

    जुलाई 3, 2024 AT 19:10
    76,000 करोड़ का पैसा... लेकिन ये बंदरगाह अगर इतना बड़ा है तो क्या इसके आसपास के गाँवों के लोगों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है? या फिर बाहर से लोग आएंगे? ये बात बहुत जरूरी है... नहीं तो ये प्रोजेक्ट हमारे लिए नहीं, बल्कि उनके लिए होगा जो इसे बनाते हैं 😅

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