पोप फ्रांसिस ने समलैंगिकों पर विवादित बयान के लिए मांगी माफी: चर्च में उठे सवाल

पोप फ्रांसिस ने समलैंगिकों पर विवादित बयान के लिए मांगी माफी: चर्च में उठे सवाल मई, 29 2024

पोप फ्रांसिस का विवादित बयान

पोप फ्रांसिस इन दिनों आलोचनाओं के घेरे में हैं। हाल ही में उन्होंने इतालवी बिशप्स सम्मेलन की एक बंद दरवाजों के पीछे बैठक के दौरान एक विवादस्पद बयान दिया, जिसमें समलैंगिकों के प्रति नाराजगी जताई गई है। यह बयान सबसे पहले इतालवी टैब्लॉइड वेबसाइट डागोस्पिया पर प्रकाशित हुआ, उसके बाद अन्य इतालवी समाचार एजेंसियों ने भी इसे रिपोर्ट किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, पोप ने कहा कि समलैंगिक पुरुषों को पुरोहित बनने के लिए प्रशिक्षण में नहीं लिया जाना चाहिए, चाहे वे कितने ही ब्रह्मचारी क्यों न हों।

माफी और स्पष्टीकरण

पोप का यह बयान LGBTQ+ समुदाय में भारी नाराजगी का कारण बना। इसके बाद पोप फ्रांसिस के कार्यालय से एक बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि पोप का इरादा किसी को ठेस पहुँचाने का नहीं था और उन्होंने जो शब्द इस्तेमाल किए, वे उनके नहीं थे। बयान में कहा गया कि उनके द्वारा उपयोग किये गए शब्‍दों का गलत मतलब निकाला गया और अगर किसी को इससे ठेस पहुंची है तो वह माफी माँगते हैं।

पूर्व में रहे समलैंगिकों के समर्थक

पूर्व में रहे समलैंगिकों के समर्थक

पोप फ्रांसिस को पहले LGBTQ+ समुदाय के समर्थक के रूप में देखा गया है। उन्होंने पहले भी सार्वजनिक रूप से कहा है कि चर्च को समलैंगिक लोगों के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाना चाहिए। हाल ही में उन्होंने कहा था कि कुछ मामलों में पादरी समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद भी दे सकते हैं। इससे उनके समलैंगिकता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का पता चलता है, लेकिन अब यह नया बयान उनके पूर्व के दृष्टिकोण के खिलाफ जाता है।

कैथोलिक चर्च में उभरे सवाल

पोप फ्रांसिस के इस बयान के बाद कैथोलिक चर्च में कई सवाल खड़े हो गए हैं। चर्च के कई बिशप्स और अनुयायियों ने इस बयान की कठोर आलोचना की है। उनका कहना है कि इस तरह के बयानों से समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव बढ़ता है और यह चर्च की मूलभूत शिक्षाओं के खिलाफ है। चर्च में समलैंगिकों के अधिकारों के प्रति पोप का यह दृष्टिकोण बदलने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

वैश्विक प्रतिक्रिया

वैश्विक प्रतिक्रिया

इस विवाद ने वैश्विक स्तर पर भी तहलका मचाया है। पूरी दुनिया में पोप के इस बयान पर नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ आई हैं। LGBTQ+ अधिकार संगठनों ने इसे समलैंगिकों के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया है। उन्होंने पोप से और स्पष्ट स्पष्टीकरण देने की माँग की है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समलैंगिक समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं हो।

भविष्य की चुनौतियाँ

पोप फ्रांसिस के इस बयान के बाद चर्च के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। एक तरफ उन्हें अपने अनुयायियों का विश्वास बनाए रखना है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें विश्व भर के LGBTQ+ समुदाय के प्रति अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करना होगा। पोप की चुनौती अब यह है कि वे कैसे इस विवाद को हल करते हैं और बिना किसी समुदाय को नाराज किये अपने विचारों को स्पष्ट करते हैं।

17 टिप्पणि

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    Srinivas Goteti

    मई 30, 2024 AT 13:39
    ये सब बयान तो बस राजनीति है। पोप जी ने जो कहा, उसका मतलब बिल्कुल अलग था। लेकिन मीडिया हमेशा झूठी खबरें फैलाती है।
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    Rin In

    जून 1, 2024 AT 08:01
    ये तो बस एक बयान है!!! इतना बड़ा उठाना क्यों??? पोप जी को तो हमें समझना चाहिए, वो तो बस चर्च की पारंपरिक शिक्षा को समझा रहे हैं!!! और अगर किसी को ठेस लगी तो माफी भी मांग ली!!! 😔🙏
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    michel john

    जून 2, 2024 AT 17:02
    ये सब ग्लोबलिस्ट्स की साजिश है भाई!!! अमेरिका और यूरोप के लोग चर्च को तोड़ना चाहते हैं!!! पोप जी को गलत बनाया जा रहा है!!! ये बयान बिल्कुल भी नहीं हुआ था!!! ये सब फेक न्यूज है!!! भारत को इन चीजों से दूर रहना चाहिए!!!
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    shagunthala ravi

    जून 4, 2024 AT 02:55
    हर व्यक्ति को अपनी पहचान के साथ सम्मान मिलना चाहिए। चाहे वो किसी भी समुदाय से हो। पोप जी के बयान का मतलब शायद बिल्कुल अलग था, लेकिन इस बात पर चर्चा जरूरी है कि कैसे हम सब एक दूसरे के साथ समझदारी से बात कर सकते हैं।
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    Urvashi Dutta

    जून 4, 2024 AT 17:12
    इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां धार्मिक नेताओं के बयानों का गलत अर्थ निकाला गया और फिर वो बयान बदल गए। यहां भी ऐसा ही हुआ है। पोप फ्रांसिस ने अपने पिछले बयानों से स्पष्ट रूप से दिखाया है कि वो लैंगिक विविधता के प्रति संवेदनशील हैं। इस बार भी शायद वो किसी बात को गलत तरीके से कह बैठे। इसलिए जल्दी निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए।
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    Rahul Alandkar

    जून 6, 2024 AT 05:50
    मैं तो बस यही कहना चाहता हूं कि चर्च की शिक्षाएं कुछ हैं, और वो बदल नहीं सकतीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम लोगों के साथ कृपा नहीं रख सकते।
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    Jai Ram

    जून 8, 2024 AT 02:38
    मुझे लगता है पोप जी ने जो कहा, वो बहुत सावधानी से कहा गया था। वो सिर्फ पुरोहित बनने के लिए प्रशिक्षण की बात कर रहे थे, न कि समलैंगिक लोगों को नकार रहे थे। अगर किसी को ठेस लगी है, तो माफी मांगना बहुत अच्छा हुआ। ❤️
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    Vishal Kalawatia

    जून 8, 2024 AT 10:18
    अरे ये सब लोग तो अपने आप को नई दुनिया का हिस्सा बताते हैं, लेकिन जब कोई बात कहता है तो उसे गलत बता देते हैं। ये चर्च का नियम है, और इसे बदलने की कोशिश मत करो। वो बयान भी तो गलत लिया गया।
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    Kirandeep Bhullar

    जून 9, 2024 AT 00:17
    अगर आप देखें तो ये सब एक तरह का ड्रामा है। एक ओर वो कहते हैं कि आशीर्वाद दे सकते हैं, दूसरी ओर ये बयान। ये बिल्कुल वैसा है जैसे कोई बोले 'मैं तुम्हें प्यार करता हूं' और फिर बोले 'लेकिन तुम मेरे लिए नहीं हो सकते'। ये असंगति है।
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    DIVYA JAGADISH

    जून 9, 2024 AT 17:26
    माफी मांग दी गई। अब चलने दो।
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    Amal Kiran

    जून 10, 2024 AT 00:22
    ये सब बकवास है। चर्च ने हमेशा ऐसा ही किया है। अब तो इन्हें बदलना चाहिए या बंद हो जाना चाहिए।
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    abhinav anand

    जून 11, 2024 AT 11:55
    मैंने ये बयान नहीं पढ़ा, लेकिन जो भी हुआ है, उसके लिए माफी मांगना एक अच्छा कदम है। शायद इससे बातचीत शुरू होगी।
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    Rinku Kumar

    जून 12, 2024 AT 02:00
    अरे भाई, पोप जी ने तो माफी मांग ली, अब तो बस खुश हो जाओ। ये तो अब एक ड्रामा हो गया है, जिसमें हर कोई अपनी बात लगाने में लगा हुआ है। इतना बड़ा उठाना क्यों? 😒
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    Pramod Lodha

    जून 13, 2024 AT 18:22
    हर कोई अपनी बात कह रहा है, लेकिन क्या कोई ये सोच रहा है कि पोप जी ने जो कहा, वो शायद उनके अपने शब्द नहीं थे? वो बस एक बैठक में बात कर रहे थे, और उसे फिर से लिखकर फैला दिया गया। अगर आप उनके पिछले बयान देखें, तो पता चलेगा कि वो कभी भी इतना कठोर नहीं रहे।
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    Neha Kulkarni

    जून 15, 2024 AT 14:36
    यहाँ एक गहरी द्वंद्वात्मकता मौजूद है: एक ओर चर्च की परंपरागत दर्शनशास्त्रीय संरचना, और दूसरी ओर आधुनिक नैतिकता का अनुरोध। पोप फ्रांसिस की भूमिका अत्यंत जटिल है - वे एक नवीन दृष्टिकोण की ओर झुक रहे हैं, लेकिन एक अत्यधिक परंपरावादी संस्था के अध्यक्ष हैं। इस बयान को एक अस्थायी आंदोलन के रूप में देखना चाहिए, न कि एक नीति परिवर्तन के रूप में।
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    Sini Balachandran

    जून 17, 2024 AT 03:30
    क्या हम सच में इतना चिंतित हैं कि कोई बयान गलत तरीके से लिया गया? या हम सिर्फ अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहते हैं? शायद ये बयान असल में बहुत छोटा था, लेकिन हमने इसे एक बड़ी लड़ाई बना दिया।
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    Sanjay Mishra

    जून 17, 2024 AT 09:56
    ये तो बस एक आग का बादल है जो किसी के दिमाग में बना है। पोप जी के शब्दों को एक तरह से लिया गया, और अब ये आग पूरी दुनिया में फैल गई है। लेकिन जब तक लोग अपनी आंखें बंद करके नहीं बैठ जाते, तब तक ये आग बुझेगी नहीं।

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