कृष्ण जन्माष्टमी – क्या है, कब है और कैसे मनाएँ?
क्या आप जानते हैं कि इस साल कृष्ण जन्माष्टमी अगस्त में पड़ती है? यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म दिवस है। हर वर्ष लोग जल्दी‑जल्दी तैयार होते हैं, दही हांड़ी फेंकते हैं और रास लीला देखना चाहते हैं। अगर आप भी इस उत्सव को सही ढंग से मनाना चाहते हैं तो पढ़िए ये आसान गाइड.
मुख्य रीति‑रिवाज़ और तैयारी
जन्माष्टमी की पूजा में सबसे पहले भगवान कृष्ण की पली हुई बाँस की झूला या माखी के घोड़े को सजाते हैं। घर में कांच के बर्तन में घी, दही, मिठाई और फल रख कर उन्हें अर्पित किया जाता है। रात भर जलते दीपक और धूप से बने खटिया पर भजन‑कीर्तन सुनना आम बात है।
दही हांड़ी फेंकने की परम्परा खासकर महाराष्ट्र में बहुत लोकप्रिय है। लोग एक बड़ी हांड़ी में दही रख कर उसे ऊँची जगह से नीचे गिराते हैं, और जितनी दूर गिरती है उतना ही भाग्यशाली माना जाता है। अगर आप पहली बार इसे आज़मा रहे हैं तो सुरक्षित स्थान चुनें और हांड़ी को ठीक‑से पकड़ें.
2025 के विशेष कार्यक्रम और लाइव कवरेज
इस साल कई शहरों में बड़े पैमाने पर रास लीला, झांकियाँ और सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित हो रहे हैं। द्वारका में जलरात्रि उत्सव, वृंदावन में कछा यत्रा और पंढरपुर में फुशा डॉली का विशेष शो देखा जा सकता है। यदि आप घर से ही भाग लेना चाहते हैं तो प्रमुख समाचार पोर्टलों पर लाइव स्ट्रीम मिल जाएगी – बस ‘कृष्ण जन्माष्टमी लाइव’ सर्च करें.
धार्मिक यात्रियों के लिए सबसे बड़ा सवाल अक्सर होता है कि यात्रा कैसे सुरक्षित रहे। सुझाव: यात्रा की योजना पहले बनाएँ, भीड़भाड़ वाले स्थानों में मास्क और हैंड सैनिटाइज़र रखें, और आधिकारिक ट्रांसपोर्ट एप्लिकेशन से टिकट बुक करें. इससे आप बिना झंझट के उत्सव का आनंद ले पाएँगे.
अंत में एक बात याद रखें – जन्माष्टमी सिर्फ बड़ी धूमधाम नहीं है, यह भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को समझने और अपनाने का समय भी है। उनकी लीलाएँ, प्रेम और न्याय को अपने जीवन में उतारें. इस तरह आपका उत्सव न केवल मज़ेदार बल्कि अर्थपूर्ण भी रहेगा.
तो तैयार हो जाइए, परिवार के साथ मिलकर इस जन्माष्टमी को खास बनाइए और हमारी साइट पर ताज़ा समाचार, वीडियो और फोटो गैलरी का लुत्फ उठाएँ.