गर्भपात: क्या है, कब किया जाता है और कैसे सुरक्षित रखिए
अगर आप या आपका कोई परिचित गर्भावस्था को लेकर उलझन में है तो यह लेख आपके लिए है। हम सरल शब्दों में बताएँगे कि गर्भपात कब जरूरी हो सकता है, भारत में इसके कानूनी नियम क्या हैं और सही मदद कैसे मिलेगी। पढ़ते रहिए, हर पैराग्राफ में उपयोगी जानकारी होगी।
कब और क्यों गर्भपात किया जाता है?
गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में डॉक्टर दो तरह की वजहें बताते हैं – मेडिकल कारण और सामाजिक कारण। मेडिकल कारण में माँ को गंभीर बीमारी, एनीमिया या प्लेसेंटा की समस्या शामिल हो सकती है। ऐसी स्थिति में गर्भ रखना माँ की जान के लिए खतरा बन सकता है। सामाजिक कारणों में आर्थिक तनाव, रिश्ते का टूटना या अनचाहे गर्भावस्था का सामना करना आता है। अक्सर लोग कहते हैं कि अभी तैयार नहीं हैं, तो यह भी एक आम कारण है।
आपको यह समझना जरूरी है कि निर्णय अकेले लेना आसान नहीं होता। सबसे पहले किसी भरोसेमंद डॉक्टर या काउंसलर से बात करें। वे आपकी स्थिति को समझकर सही विकल्प सुझा सकते हैं। याद रखें, अगर स्वास्थ्य खतरे में है तो जल्दी कार्रवाई करना बेहतर रहता है।
भारत में गर्भपात के कानूनी पहलु
भारत का गर्भपात कानून 1971 की "गर्भपात अधिनियम" पर आधारित है। इस नियम के तहत, पहले 20 हफ्ते तक गर्भावस्था को समाप्त करना वैध है अगर दो डॉक्टर इसकी पुष्टि करें या अगर माँ को गंभीर खतरा हो। 2021 में संशोधन हुआ जिससे सीमा 24 सप्ताह तक बढ़ा दी गई, लेकिन यह केवल विशेष मामलों में जैसे फेफ्लोपी डिफेक्ट या एनीओप्लास्टी के लिए ही लागू होती है। इसलिए, यदि आप इस समयसीमा से बाहर हैं तो कोर्ट की अनुमति लेनी पड़ सकती है।
कानून का मतलब सिर्फ दंड नहीं, बल्कि सुरक्षा भी है। प्रमाणित क्लिनिक में प्रक्रिया कराना जरूरी है क्योंकि अनियमित जगहों पर जोखिम बढ़ जाता है – संक्रमण, अपूर्ण गर्भपात या भविष्य में प्रजनन समस्या जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
अगर आप सुनिश्चित नहीं हैं कि कौन सी सुविधा भरोसेमंद है तो राज्य स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट देखें या स्थानीय सरकारी अस्पताल से पूछें। ये जगहें अक्सर सस्ते दर पर सुरक्षित सेवा देती हैं।
अब बात करते हैं प्रक्रिया की – दो मुख्य तरीके होते हैं: दवा द्वारा गर्भपात (MTP) और शल्य चिकित्सा (सर्जिकल)। दवा का उपयोग आमतौर पर 9‑10 हफ्ते तक के लिए किया जाता है, जबकि सर्जरी 12‑20 हफ्तों में बेहतर रहती है। डॉक्टर आपको दोनों विकल्पों की जानकारी देंगे, दुष्प्रभावों को समझाएंगे और आवश्यक फॉलो‑अप बताएंगे।
गर्भपात के बाद आपका शरीर कुछ दिनों तक असहज महसूस कर सकता है – हल्का दर्द, रक्तस्राव या थकान सामान्य हैं। इस समय आराम करें, हाइड्रेटेड रहें और डॉक्टर की सलाह अनुसार एंटीबायोटिक या पेनकिलर लें। अगर खून बहुत ज़्यादा आता है या बुखार हो तो तुरंत मेडिकल मदद लेनी चाहिए।
भविष्य में यदि आप फिर से बच्चे का सोच रहे हैं, तो डॉक्टर से फ़र्टिलिटी पर सलाह लेना फायदेमंद रहेगा। कई बार हार्मोनल इज़ाम या शरीर की रिकवरी के कारण कुछ महीनों तक इंतजार करना पड़ता है।
आख़िरकार, गर्भपात एक व्यक्तिगत निर्णय है और इसमें आपका आराम और सुरक्षा सबसे ऊपर होना चाहिए। सही जानकारी, भरोसेमंद डॉक्टर और कानूनी अधिकारों को समझ कर आप सुरक्षित कदम उठा सकते हैं। अगर अभी भी संकोच या सवाल हों तो निःसंकोच पूछें – यह आपके स्वास्थ्य के लिये सबसे अच्छा कदम होगा।