ऑटिस्टिक बच़चा – क्या करना चाहिए?
अगर आपके बच्चे को ऑटिज़्म का संदेह है तो घबराएँ नहीं। सबसे पहले छोटे‑छोटे संकेतों पर ध्यान दें: आँख मिलाना कम, दोहराव वाले व्यवहार या भाषा में देर। ये सब आम लक्षण हैं और शुरुआती पहचान मदद करती है.
पहचान कैसे करें?
डॉक्टर या बाल विकास विशेषज्ञ से जल्दी जांच कराएँ। साधारण प्रश्न पूछकर वे बच्चे की सामाजिक संपर्क क्षमता, भाषा समझ और खेल के तरीकों को देखेंगे. यदि कोई लक्षण स्पष्ट हों तो स्क्री닝 टूल जैसे M-CHAT का उपयोग किया जाता है.
घर में समर्थन के आसान उपाय
1. रोज़ एक‑दो मिनट आँख मिलाने की प्रैक्टिस करें। 2. पसंदीदा खेल को धीरे‑धीरे नए नियमों से जोड़ें, जैसे ब्लॉक्स बनाते समय रंग पहचान सिखाएँ. 3. स्पष्ट भाषा में छोटे निर्देश दें और वही दोहराएँ. बच्चा जब सही करे तो तुरंत सराहना करें; इससे सकारात्मक व्यवहार मजबूत होता है.
स्ट्रक्चर्ड रूटीन भी फायदेमंद है। हर दिन का टाइम‑टेबल बनाकर उसे दिखाएँ, जैसे नाश्ता 8 बजे, पढ़ाई 10 बजे. बच्चे को पता होगा कब क्या करना है और अनिश्चितता कम होगी.
बाहरी मदद के लिए थेरपी की जरूरत पड़ सकती है – स्पीच थैरेपिस्ट, ऑक्युपेशनल थैरेपिस्ट या बिहेवियर एन्हांसमेंट प्रोफेशनल. इनकी सत्र अक्सर छोटे लक्ष्य तय करके चलते हैं, इसलिए घर में वही अभ्यास दोहराएँ.
शिक्षा के लिए विशेष विद्यालय या इंटिग्रेटेड क्लासेज़ देखें। कई स्कूल आज समावेशी शिक्षा दे रहे हैं जहाँ ऑटिस्टिक बच्चे नियमित कक्षा में भी सीखते हैं लेकिन अतिरिक्त सहारा मिलता है.
माता‑पिता को खुद का ख्याल रखना भी जरूरी है। सपोर्ट ग्रुप में जुड़ें, अनुभव साझा करें और पेशेवर सलाह लें. जब आप आराम महसूस करेंगे तो बच्चा भी सुरक्षित महसूस करेगा.
आखिरकार, ऑटिस्म कोई बीमारी नहीं बल्कि दिमाग की एक अलग कार्यप्रणाली है. सही समझ, धैर्य और उचित समर्थन से बच्चे को अपनी क्षमताओं तक पहुँचाया जा सकता है. अभी कदम उठाएँ, मदद के लिए डॉक्टर या थैरेपिस्ट से संपर्क करें और छोटे‑छोटे बदलावों से बड़े परिणाम देखें.