सरव पितृ अमावस्या: कब, क्यों और आसान रिवाज़

क्या आपने कभी सोचा है कि सरव पितृ अमावस्या असल में क्या है? यह वही रात है जब हम अपने पिताओं, दादा‑दादी और सभी पूर्वजों को याद करते हैं। अधिकांश लोग इसे सिर्फ एक दिन की शोक यात्रा समझते हैं, पर असल में इसमें कई आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू छुपे हैं। चलिए, इस रहस्यमय रात को समझते हैं और साथ ही पाँच आसान रिवाज़ सीखते हैं जो आप घर पर ही कर सकते हैं।

सरव पितृ अमावस्या कब आती है?

सरव पितृ अमावस्या हर साल शरद ऋतु में आती है, जब चंद्रमा नई चंद्रमा (अमावस्या) का स्वरूप लेता है। 2025 में यह 13 अक्टूबर को होगी, लेकिन सटीक तिथि आपका स्थानीय पंचांग देख कर ही तय हो सकती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अतिसूक्ष्म होते हैं, इसलिए माना जाता है कि आत्माएं इस समय पृथ्वी की ओर अधिक निकट आती हैं।

क्यों मनाते हैं सरव पितृ अमावस्या?

हिंदू धरोहर में पितृ प्रतिपालन को बहुत महत्व दिया गया है। पितरों की आत्मा को शान्ति देने और उनके आशीर्वाद पाने के लिए यह दिन चुना गया। कहा जाता है कि इस अमावस्या पर पिताओं का बोध अधिक तीव्र होता है, इसलिए उनका स्मरण करके हम उनके अच्छे कर्मों को आगे बढ़ा सकते हैं। यह न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि परिवार के बंधनों को मजबूत करने का भी मौका है।

सरव पितृ अमावस्या के पाँच आसान रिवाज़

1. तर्पण जल – घर के दरवाजे के बाहर जल लेकर उसमें स्वादिष्ट फलों, चावल और गhee डालें। इस तर्पण को पाँच बार घुमा कर पितरों को समर्पित करें।

2. आशीर्वाद मंत्र – "ॐ पितरवन्दाय नमः" का जप करें, कम से कम 108 बार। यह मंत्र पिताओं को शांति देता है और आत्मा को सुकून देता है।

3. दाना और फल भुजना – घर के पास या अपने बगीचे में छोटे सी कार्य करें, जैसे पौधे लगाना या बिन बुलाए किसी को मदद देना। यह पितरों को बताता है कि हम उनके कार्यों को आगे ले रहे हैं।

4. परिवारिक भोजन – इस रात को परिवार के साथ मिलकर एक साधा भोजन तैयार करें, जैसे खिचड़ी या दाल‑चावल। भोजन के बाद सब मिलकर पितरों को धन्यवाद दें।

5. व्रत या उपवास – यदि आप सहन कर सकते हैं तो एक दिन का हल्का व्रत रखें। यह आध्यात्मिक शुद्धिकरण का असर बढ़ाता है और पिताओं को आपके तीर्थ‑यात्रा की भावना मिलती है।

इन रिवाज़ों को अपनाते समय सबसे बड़ी बात है सच्ची भावना। कोई भी बड़े प्रावधान नहीं, बस दिल से काम करना चाहिए। अगर आप केवल दस मिनट में इनमे से दो-तीन कर सकें, तो भी पितरों को आपके मन की बात सुनाई देगी।

अंत में, सरव पितृ अमावस्या सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परिवार की जींदगी में सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक है। इस रात को याद रखें, अपने पिताओं को सम्मान दें और उनके द्वारा दी गई सीखों को आगे बढ़ाएँ। आप चाहे शहरी हों या गांव में, यह रिवाज़ सभी के लिए सुलभ है। अब जब आप अगली सरव पितृ अमावस्या के लिए तैयार हो रहे हैं, तो इन आसान कदमों को अपने दिनचर्या में शामिल करें और पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करें।

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: श्राद्ध का शुभ मुहुर्त 11:50 बजे से

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21 सितम्बर 2025 को सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या का अद्वितीय मेल हुआ। इस दिव्य संयोजन से धार्मिक अनुष्ठानों की महत्ता बढ़ी। शुभ मुहुर्त 11:50 एएम से 1:27 पीएम तक था, जिसमें तरपण, श्राद्ध और पिंडदान किया गया। औषधि, दान‑पुण्य और वैदिक ज्योतिष का भी विशेष उल्लेख है। इस लेख में समय‑समय पर किए जाने वाले कार्यों की विस्तृत विधि बताई गई है।