श्राद्ध मुहुर्त: सही समय कैसे चुनें

श्राद्ध का काम सिर्फ पूजन नहीं, बल्कि पूर्वजों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव है। लेकिन इस काम को सही मुहूर्त में करना बहुत ज़रूरी है, नहीं तो मन की शांति भी दूभर हो सकती है। चलिए, आसान शब्दों में समझते हैं कि सही मुहूर्त कैसे निकलता है और किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

श्राद्ध मुहूर्त क्या है?

मुहूर्त का मतलब है वह समय जब किसी काम को करना शुभ माना जाता है। श्राद्ध में यह समय तिथि (तिथी), नक्षत्र और वार के आधार पर तय किया जाता है। आम तौर पर अंशु वज्र, द्वादशी, प्रतिपदा और पूर्णिमा को शुभ माना जाता है, जबकि सोज़ (आशु) तिथियों और महावीरव्वत को टालना बेहतर रहता है।

श्राद्ध के सही मुहूर्त कैसे निकालें?

1. पंचांग देखें – आज का दिन, तिथी, नक्षत्र और वार नोट करें। अगर तिथि द्वादशी या पूर्णिमा है और वार सोमवार, गुरुवार या शनिवार है, तो यह सामान्यतः शुभ माना जाता है।

2. सूर्य का उदय और अस्त – श्राद्ध का काम सुबह 6 बजे से 9 बजे या दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच करना बेहतर रहता है। इस समय में सूर्य की रोशनी ऊर्जा को संतुलित करती है।

3. विचार करें ‘अशुभ’ तिथियों से बचना – तिथि ‘अश्विन’, ‘निवर्तित ग्रह’ (जैसे शनि, मंगल) वाले दिन से बचें। अगर इन दिनों में काम करना पड़े तो पहले ज़्यादा पूजन या शास्त्र पढ़कर शांति बनाएं।

4. ऑनलाइन पंचांग ऐप या वेबसाइट – आजकल कई मोबाइल ऐप और वेबसाइटें ‘श्राद्ध मुहूर्त कैल्कुलेटर’ देती हैं। बस अपना जनम तिथि और स्थान डालें, सही मुहूर्त तुरंत मिल जाएगा।

5. पुजारी या परिवार के बड़े से सलाह – अगर आप पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं हैं, तो स्थानीय पुजारी या पारिवारिक बुजुर्ग से पूछें। उनका अनुभव अक्सर सही दिशा दिखाता है।

अब जब आपके पास सही मुहूर्त है, तो आगे की तैयारी भी आसान हो जाएगी।

पहले दिन को साफ़-सफाई से तैयार करें, जल और पथर को साफ रखें, और सामने से काले कपड़े पहने। लड्डू, फल, पान और दही के लड्डू आदि अनुष्ठान में रखें। अनुष्ठान के दौरान पीछे नहीं हटें; चुपचाप ध्यान दें और अपने पूर्वजों को सम्मान दें।

अगर आप शहर में रहते हैं और घर में खुली जगह नहीं है, तो किसी मंदिर या पवित्र स्थल का चयन कर सकते हैं। वहीँ पर मंत्र पढ़ना और पंडित की मदद लेकर अनुष्ठान करना अक्सर सुविधाजनक रहता है।

ध्यान रखें कि श्राद्ध का काम सिर्फ बाहरी रिवाज़ नहीं, बल्कि मन की शांति और श्रद्धा का भी हिस्सा है। सही मुहूर्त चुनने से आपके मन को भी संतोष मिलेगा और पूर्वजों का आशीर्वाद भी बना रहेगा।

तो अगली बार जब आप श्राद्ध करने का विचार रखें, तो ऊपर दिए गए कदमों को याद रखिए और सही मुहूर्त में ही काम कीजिए। यही छोटा सा बदलाव आपके अनुष्ठान को और असरदार बना देगा।

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: श्राद्ध का शुभ मुहुर्त 11:50 बजे से

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