वायनाड की पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन: लगातार बारिश से बचाव अभियान बाधित

वायनाड की पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन: लगातार बारिश से बचाव अभियान बाधित जुल॰, 30 2024

वायनाड में भूस्खलन: स्थिति की समीक्षा

केरल के वायनाड जिले की पहाड़ी क्षेत्रों में हुए भारी भूस्खलन ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। बुधवार को हुई इस घटना ने कई घरों को जमीनदोज कर दिया और सड़क मार्ग समेत संचार नेटवर्क को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। इलाके में लगातार हो रही बारिश ने बचाव अभियान को और भी मुश्किल बना दिया है।

राहत और बचाव कार्य में चुनौतियां

इस प्राकृतिक आपदा के बाद जिला प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है। प्रशासन ने लोगों से अपने घरों में रहने की अपील की है ताकि अपनी जान बचाई जा सके। बावजूद इसके, कई परिवार बेघर हो गए हैं और उनके पास अब सिर ढकने को कोई जगह नहीं बची है। बचाव दल को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि लगातार बारिश के कारण प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचना काफी कठिन हो गया है।

सड़कें बंद हो गई हैं, पेड़ों की जड़ें उखड़ गई हैं और मिट्टी का एक बड़ा हिस्सा खिसक गया है। नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) और भारतीय सेना की टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है ताकि जल्द से जल्द बचाव कार्य को अंजाम दिया जा सके। वायनाड के कलेक्टर ए.सी. मोहन ने स्वयं दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और लोगों से अपील की कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।

भारी नुकसान का आकलन

इस भूस्खलन ने कई मकानों को तबाह कर दिया है, जिससे सैंकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। प्रशासन ने तेजी से राहत शिविरों की स्थापना की है और प्रभावित लोगों के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति का प्रबंध किया जा रहा है। लेकिन, बारिश लगातार होने के कारण राहत कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।

अभी तक कुल कितनी मौतें हुई हैं, इसका सही आंकलन नहीं किया जा सका है। लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, कई लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हैं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।

प्रशासनिक कदम और ऐहतियाती उपाय

प्रशासनिक कदम और ऐहतियाती उपाय

वायनाड के कलेक्टर ए.सी. मोहन ने कहा,

12 टिप्पणि

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    Sai Sujith Poosarla

    जुलाई 31, 2024 AT 09:19
    ये सरकारी लोग तो बारिश होने से पहले कुछ करते ही नहीं! फिर जब तबाही हो जाती है तो NDRF भेज देते हैं। ये सब बस दिखावा है। वायनाड के लोगों को तो हमेशा बर्बाद कर दिया जाता है।
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    Sri Vrushank

    अगस्त 1, 2024 AT 12:36
    इससे पहले भी ऐसा हुआ था और फिर भी कुछ नहीं बदला क्योंकि ये सब ठीक हो जाता है जब तक चुनाव नहीं आ जाते फिर फोटो खिंचवाने के लिए आ जाते हैं
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    Praveen S

    अगस्त 3, 2024 AT 00:15
    प्राकृतिक आपदाओं का वास्तविक कारण केवल बारिश नहीं है; यह वृक्षों की कटाई, अवैध निर्माण, और भूमि उपयोग की अनियंत्रित नीतियों का परिणाम है। हम जो आज देख रहे हैं, वह एक लंबे समय तक चले आ रहे अनदेखे निर्णयों का परिणाम है।
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    mohit malhotra

    अगस्त 4, 2024 AT 11:02
    इस स्थिति में, राहत अभियान के लिए एक समन्वित बहु-स्तरीय दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें स्थानीय समुदायों की भूमिका, डिजिटल डेटा संग्रहण, और जलवायु अनुकूलन नीतियों का समावेश होना चाहिए। बिना इन्हें शामिल किए, राहत कार्य अस्थायी ही रहेंगे।
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    Gaurav Mishra

    अगस्त 6, 2024 AT 03:33
    सब बर्बाद।
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    Aayush Bhardwaj

    अगस्त 7, 2024 AT 03:50
    तुम लोग तो बस रोते रहोगे। अगर तुम अपने घरों के आसपास पेड़ लगाते तो ऐसा होता? ये सब तो बेकार के लोगों की बात है।
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    Vikash Gupta

    अगस्त 8, 2024 AT 11:14
    वायनाड की पहाड़ियाँ हमारी जड़ें हैं। यहाँ की हर धूल, हर पत्ती, हर बूंद बारिश एक गीत है। लेकिन आज ये गीत रो रहा है। जब हम इस भूमि का सम्मान करेंगे, तभी ये हमें सम्मान देगी। यह तो बस एक भूस्खलन नहीं, ये एक चेतावनी है।
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    Arun Kumar

    अगस्त 10, 2024 AT 03:36
    मैं तो बस ये कहना चाहता हूँ कि इस वक्त वायनाड में कितने लोग अपने बच्चों को गोद में लिए बैठे हैं और बारिश की आवाज़ सुन रहे हैं... और उनकी आँखों में डर है। इस दुनिया में जितना भी बड़ा राजनीतिक बयान हो, ये नज़र नहीं आता।
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    Deepak Vishwkarma

    अगस्त 11, 2024 AT 08:31
    हमारे सैनिकों ने इस आपदा में जान देने का फैसला किया है। ये नहीं कि जिन लोगों ने ये नीतियाँ बनाईं, वो अपनी बेटियों को वहाँ भेजेंगे। ये देश की आत्मा है, जो यहाँ बचाने आई है।
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    Anurag goswami

    अगस्त 12, 2024 AT 01:34
    क्या हम इस आपदा के बाद केवल राहत देने तक सीमित रहेंगे? या हम वास्तविक रूप से भूमि उपयोग नीतियों को बदलेंगे? एक स्थानीय समुदाय के साथ बातचीत करके, हम भविष्य की आपदाओं को रोक सकते हैं।
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    Abhishek Ambat

    अगस्त 13, 2024 AT 04:24
    बारिश नहीं, ये सब आंतरिक शक्तियों का षड्यंत्र है। जब तक ये नहीं बदलेगा, तब तक ये आपदाएँ चलती रहेंगी 😔
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    Meenakshi Bharat

    अगस्त 13, 2024 AT 11:46
    मुझे लगता है कि इस आपदा के बाद, हमें अपनी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक जड़ों को फिर से जोड़ने की आवश्यकता है। यह एक अवसर है कि हम अपने बच्चों को भूमि के प्रति सम्मान सिखाएँ, अपने गाँवों में जैविक खेती को प्रोत्साहित करें, और स्थानीय निर्माण तकनीकों को बहाल करें। यह सिर्फ एक बचाव अभियान नहीं, बल्कि एक नए जीवन शैली की शुरुआत है।

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