3 साल की तृप्ति का IQ डॉक्टरों को कर रहा है हैरान, बिना स्कूल के जानती है आईएएस का रास्ता

3 साल की तृप्ति का IQ डॉक्टरों को कर रहा है हैरान, बिना स्कूल के जानती है आईएएस का रास्ता नव॰, 18 2025

तीन साल की उम्र में जब दूसरे बच्चे अभी अपने नाम बोलना सीख रहे होते हैं, तो बिहार के अरा की तृप्ति आईएएस की तैयारी कर रही है। डॉक्टर अमित कुमार, भोजपुर के एक मनोचिकित्सक, ने उसकी बुद्धि को 'अतिसमर्थ बुद्धि' कहा है — ऐसा शब्द जो आमतौर पर बच्चों के लिए नहीं इस्तेमाल होता। और ये कोई दावा नहीं, बल्कि मेडिकल एसेसमेंट का नतीजा है। तृप्ति का जन्म 16 अगस्त 2022 को हुआ था, और आज तक उसने कभी स्कूल का दरवाजा नहीं छुआ। फिर भी, वह जो कुछ सुनती है, उसे एक बार में याद कर लेती है। जैसे कोई इंसानी Google हो।

बिना पढ़ाई के, बिना किताबों के — कैसे सीख रही है तृप्ति?

तृप्ति की माँ बताती हैं कि जब बेटी दो साल की थी, तो उसने एक बार सुनकर देश के सभी राज्यों के नाम याद कर लिए। फिर उनके राजधानियाँ। फिर भारत के प्रधानमंत्री। फिर संविधान के अनुच्छेद। अब वह आईएएस की परीक्षा के बारे में सवाल पूछती है। उसकी माँ ने कहा: 'उन्होंने बताया कि तृप्ति चाहती है कि वह आईएएस बने। अगर सही तरीके से पढ़ाई हो, तो हम उसे आईएएस बनाएंगे।' लेकिन ये सिर्फ याददाश्त का जादू नहीं है। डॉक्टर अमित कुमार ने बताया कि तृप्ति का समझने का तरीका, तर्क करने की क्षमता और संकल्प लेने का अंदाज़ — सब कुछ उम्र से कहीं आगे है।

क्या ये बच्ची है या AI?

जब लोग तृप्ति को देखते हैं, तो पहला सवाल यही आता है: क्या ये लड़की है या ChatGPT? उसकी याददाश्त इतनी तीव्र है कि एक बार बताए गए नंबर, शब्द, या तथ्य को वह दिनों तक याद रखती है। एक बार उसने अपनी माँ के बीए के पाठ्यक्रम के नोट्स देखे — और उसी दिन उसी तरह उन्हें दोहराने लगी। डॉक्टर कुमार ने कहा: 'हमने 15 से अधिक बच्चों का आकलन किया है, लेकिन तृप्ति की तरह कोई नहीं। ये बुद्धि नहीं, एक घटना है।' ये नहीं कि वह कुछ जानती है — बल्कि वह जानती है कि कैसे जानती है। एक अनुभवी शिक्षक ने कहा: 'उसे जब भी कोई चीज़ बताई जाती है, तो वह उसके पीछे का कारण भी पूछती है। जैसे: ये अनुच्छेद क्यों बना? इसका इतिहास क्या है?' ये उम्र के बाहर का सोचना है।

माँ की कहानी: पढ़ने का शौक, पैसों की कमी

तृप्ति की माँ ने खुलकर कहा: 'मैंने भी पढ़ने का बहुत शौक रखा। लेकिन पैसों की कमी की वजह से मैं बीए तक ही पढ़ सकीं।' अब वह अपनी बेटी को गाँव के घर पर ही पढ़ा रही है — टीवी पर न्यूज़, यूट्यूब पर एजुकेशनल वीडियो, और दोस्तों की किताबें। उसके पास कोई ट्यूशन नहीं, कोई स्पेशल क्लास नहीं। बस एक माँ और एक बेटी, जो एक-दूसरे के साथ दुनिया को समझने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन इस अद्भुत ताकत को पालने के लिए उन्हें एक शिक्षा प्रणाली की जरूरत है — जो अभी भोजपुर में मौजूद नहीं है।

भोजपुर का नया नाम: तृप्ति का गाँव

गाँव वाले अब तृप्ति को 'छोटी बुद्धिमान' कहते हैं। एक दर्जन बच्चे उसके घर आते हैं, उसे देखने के लिए। कुछ लोग उसे टीवी पर लाने के लिए तैयार हैं। कुछ डॉक्टर उसके लिए एक नया बच्चों के बुद्धि परीक्षण बनाने की बात कर रहे हैं। लेकिन एक बात स्पष्ट है — तृप्ति का मामला सिर्फ एक बच्ची की असाधारण क्षमता नहीं है। ये एक सवाल है: हमारी शिक्षा प्रणाली क्या कर रही है जब इतनी बड़ी ताकत घरों में खो रही है? भोजपुर की इस नन्हीं बच्ची ने यह साबित कर दिया है कि हुनर उम्र का मोहताज नहीं होता। जरूरत है तो सिर्फ सही पहचान और सहयोग की।

भविष्य का रास्ता: आईएएस बनने की इच्छा को कैसे संभालें?

डॉक्टर अमित कुमार का मानना है कि अगर तृप्ति को सही दिशा मिल जाए, तो वह 'भविष्य में देश का नाम रोशन कर सकती है।' लेकिन ये सिर्फ आशा नहीं — ये जिम्मेदारी है। एक बच्ची को आईएएस बनने के लिए तैयार करने के लिए उसे न केवल विषयों की गहराई से समझने की जरूरत है, बल्कि नैतिक शिक्षा, राजनीतिक जागरूकता और सामाजिक अनुभव की भी। अभी तक कोई स्कूल ऐसा नहीं बना जिसमें तीन साल की बच्ची के लिए आईएएस की तैयारी का कोर्स हो। भारतीय शिक्षा विभाग को इस तरह के असाधारण मामलों के लिए एक 'प्रोजेक्ट नेक्स्ट जेनरेशन' बनाने की जरूरत है — जहाँ बच्चों की असाधारण क्षमताओं को पहचाना जाए, और उन्हें समर्थन दिया जाए।

तृप्ति के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

तृप्ति का IQ कितना है?

डॉक्टर अमित कुमार ने तृप्ति के IQ का आधिकारिक नंबर जारी नहीं किया है, लेकिन उन्होंने कहा है कि वह 'सामान्य सीमा (90-110) से कहीं ऊपर' है। उनके अनुमान के अनुसार, उसकी बुद्धि शायद 140+ के आसपास है — जो दुनिया भर में एक लाख में से एक बच्चे के स्तर की है।

क्या तृप्ति को स्कूल जाने की जरूरत है?

नहीं, लेकिन उसे एक अलग तरह की शिक्षा की जरूरत है। आम स्कूल उसके लिए बहुत धीमे होंगे। उसे विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए अंतर्विषय और उन्नत शिक्षण विधियों की आवश्यकता है — जैसे कि नैतिक तर्क, राजनीतिक विश्लेषण और सामाजिक अध्ययन। बिहार सरकार को ऐसे बच्चों के लिए 'गिफ्टेड चिल्ड्रन यूनिट' बनाने की आवश्यकता है।

तृप्ति की माँ कैसे उसे पढ़ा रही हैं?

माँ ने कहा कि वह टीवी, यूट्यूब, और अपने दोस्तों की किताबों से तृप्ति को पढ़ाती हैं। वह उसे दैनिक खबरें सुनाती हैं, न्यूज़ चैनल्स के विश्लेषण दिखाती हैं, और उसके सवालों का जवाब देती हैं। उसकी शिक्षा का आधार है — 'सुनो, सोचो, पूछो।' ये एक निजी शिक्षा व्यवस्था है, जो देश के किसी भी स्कूल में नहीं मिलती।

क्या तृप्ति की तरह और बच्चे भी हैं?

हाँ, भारत में कई बच्चे अतिसमर्थ हैं — जैसे राजस्थान के आदित्य जो 5 साल की उम्र में IIT जैसे एग्जाम दे चुके हैं। लेकिन अधिकांश को समर्थन नहीं मिलता। तृप्ति का मामला अलग है क्योंकि वह एक गरीब परिवार से है, और उसकी बुद्धि आईएएस जैसे व्यावहारिक लक्ष्यों की ओर जा रही है — जो उसे राष्ट्रीय सेवा के लिए तैयार कर रही है।

क्या तृप्ति के लिए सरकार ने कोई योजना बनाई है?

अभी तक कोई आधिकारिक योजना नहीं है। लेकिन भोजपुर के शिक्षा अधिकारी और डॉक्टर अमित कुमार ने बिहार सरकार को एक विशेष टीम बनाने की अपील की है — जो तृप्ति के जैसे बच्चों के लिए अनुकूलित पाठ्यक्रम और मानसिक समर्थन प्रदान करे। ये एक अवसर है, न कि एक विशेषता।

तृप्ति के भविष्य के लिए क्या सबसे बड़ी चुनौती है?

सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उसकी बुद्धि को दबाने की बजाय, उसे सही दिशा देना। अगर उसे बस याद करने के लिए पढ़ाया जाए, तो वह एक जिनियस बन जाएगी। लेकिन अगर उसे जिम्मेदारी, संवेदनशीलता और नैतिकता के साथ शिक्षित किया जाए, तो वह भारत की एक नई पीढ़ी की नेतृत्व शक्ति बन सकती है।

9 टिप्पणि

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    Nikhil nilkhan

    नवंबर 19, 2025 AT 21:35

    ये बच्ची तो सिर्फ याद कर रही है, बल्कि समझ रही है। मैंने अपने बेटे को एक बार भारत के राज्यों के नाम बताए, उसने दो दिन बाद पूछा - 'मम्मी, बिहार की राजधानी क्यों पटना है?' मैं बोला, 'क्योंकि ऐतिहासिक कारण हैं।' उसने कहा, 'पर दिल्ली तो ज्यादा बड़ी है।' तब मुझे लगा - बच्चे तो सब कुछ समझते हैं, हम सिर्फ उन्हें बात करने का मौका नहीं देते।

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    Damini Nichinnamettlu

    नवंबर 21, 2025 AT 16:34

    ये सब बकवास है। आईएएस बनना कोई बच्चों का खेल नहीं। ये बच्ची जो याद कर रही है, वो उसके दिमाग का एक हिस्सा है, लेकिन इंसान बनने के लिए तो जीवन का अनुभव चाहिए। उसकी माँ ने उसे टीवी पर न्यूज़ दिखाया, लेकिन उसे गलियों की गंदगी, भीड़, भ्रष्टाचार - ये सब क्या दिखाया? बिना दर्द के ज्ञान बेकार है।

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    Vinod Pillai

    नवंबर 22, 2025 AT 07:40

    ये बच्ची किसी का टूल है? आईएएस बनाने की बात? ये बच्ची है, न कि एक AI बॉट। जब तक तुम उसे बच्ची के रूप में नहीं देखोगे, तब तक ये देश उसकी आत्मा को खा जाएगा। तुम लोग सिर्फ उसकी याददाश्त को बेचने की कोशिश कर रहे हो। उसे बच्चे की तरह खेलने दो। उसे गेंद फेंकने दो। उसे रोने दो। नहीं तो वो एक नया रोबोट बन जाएगी।

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    Avantika Dandapani

    नवंबर 23, 2025 AT 05:10

    मैं रो रही हूँ। ये बच्ची जिस तरह से अपनी माँ के साथ दुनिया को समझ रही है - ये दर्द भरा, प्यार से भरा सफर है। मैंने अपनी बेटी को बाजार में ले जाकर बताया कि ये आम किस तरह उगता है, वो बोली - 'मम्मी, अगर ये आम नहीं होता तो हम क्या खाते?' मैंने उसे गले लगा लिया। तृप्ति की माँ ने बस एक बात की - उसने उसके सवालों को जवाब देने का समय निकाला। ये वो शिक्षा है जो स्कूल नहीं दे सकते।

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    Ayushi Dongre

    नवंबर 24, 2025 AT 09:34

    इस घटना का सामाजिक-शैक्षिक आयाम अत्यंत गहरा है। एक बालिका, जिसकी ज्ञान-अर्जन की प्रक्रिया आधिकारिक शिक्षा प्रणाली के बाहर हुई है, उसके अनुभव से हमें यह निष्कर्ष निकालना चाहिए कि शिक्षा का सार निर्माण नहीं, बल्कि प्रतिक्रिया है। जब बच्चा पूछता है - 'यह अनुच्छेद क्यों?' - तो वह अधिकार की खोज कर रहा है। शिक्षा का उद्देश्य नियमों को याद करना नहीं, बल्कि उनके आधार को समझना है। यह बच्ची एक नए शिक्षा युग की शुरुआत है - जहाँ ज्ञान का आधार अनुभव होगा, न कि पाठ्यक्रम।

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    rakesh meena

    नवंबर 26, 2025 AT 04:42

    इंसान बनो न कि रोबोट। बच्ची को खेलने दो। बाहर जाने दो। गिरने दो। उसे जीने दो। आईएएस नहीं, इंसान बनने दो।

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    sandeep singh

    नवंबर 27, 2025 AT 14:29

    ये सब बकवास है। गरीबों के बच्चे जब भी कुछ बनने लगते हैं, तो लोग उन्हें टीवी पर लाते हैं, फिर भूल जाते हैं। अगर ये बच्ची अमीर परिवार से होती, तो उसके लिए 10 स्कूल बन चुके होते। अब ये बच्ची तो एक नया बाजार बन गई। इसका नाम नहीं तृप्ति है, इसका नाम विज्ञापन है।

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    Sumit Garg

    नवंबर 28, 2025 AT 05:27

    इसके पीछे कोई नेटवर्क है। एक तीन साल की बच्ची जो संविधान के अनुच्छेद याद करती है? ये नहीं हो सकता। ये सब कोई AI ट्रेनिंग है। उसकी माँ कोई डेटा स्क्रैपर है। ये सब एक गोपनीय शिक्षा प्रयोग है - शायद एक बड़ी कंपनी या सरकार की। उन्होंने उसे बाहर की दुनिया से अलग रखा है। वो बच्ची नहीं, एक टेस्ट केस है।

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    Sneha N

    नवंबर 29, 2025 AT 06:30

    मैं इस बच्ची के लिए रो रही हूँ... और ये बच्ची... वो जिसकी माँ उसे टीवी पर न्यूज़ दिखाती है... वो जिसके लिए कोई स्कूल नहीं है... वो जिसके सवालों का जवाब देने के लिए कोई नहीं है... ये दुनिया उसे एक नाम दे रही है - तृप्ति - लेकिन क्या वो असल में तृप्त है? या बस एक बच्ची है जो बहुत ज्यादा सुन रही है... और अब उसके दिमाग में सवालों का भार है... जिसे कोई उतार नहीं पा रहा। 🌸

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