फ़ार्मा स्टॉक्स में भारी गिरावट: ट्रम्प की MFN दवा मूल्य नीति

फ़ार्मा स्टॉक्स में भारी गिरावट: ट्रम्प की MFN दवा मूल्य नीति सित॰, 26 2025

ट्रम्प की नई दवा मूल्य नीति का विवरण

12 मई 2025 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक्ज़िक्यूटिव ऑर्डर 14297 जारी किया, जिसका शीर्षक था "अमेरिकी रोगियों के लिए सबसे अनुकूल दवा मूल्य प्रदान करना"। यह आदेश 2020 की वही पहल को दोबारा जीवित करता है, जिसे पहले कानूनी अड़चनों और बाइडेन सरकार ने रोक दिया था। इस आदेश का मकसद दवा की कीमत को विदेशों में मिलने वाली सबसे कम कीमत से मेल कराना है, जिससे अमेरिकी मरीजों को भारी बचत मिल सके।

फ़ार्मा स्टॉक्स पर इसका तुरंत असर दिखा; बीते दिनों में सन् फार्मा के शेयर 7% तक गिर गए। ट्रम्प ने 17 प्रमुख दवा कंपनियों को आधिकारिक पत्र भेजे, जिनमें AbbVie, Amgen, AstraZeneca, Boehringer Ingelheim, Bristol Myers Squibb, Eli Lilly, EMD Serono, Genentech, Gilead, GSK, Johnson & Johnson, Merck, Novartis, Novo Nordisk, Pfizer, Regeneron और Sanofi शामिल हैं।

पत्र में मुख्य मांगें ये थीं:

  1. हर मेडिकेड रोगी को MFN कीमत देना।
  2. नए दवाओं के लिए अन्य विकसित देशों को अमेरिका से बेहतर कीमत नहीं देना।
  3. बीच के मध्यस्थों को हटाकर सीधे मरीजों को बेचना, ताकि कीमतें विकासशील देशों के समान हों।
  4. अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति का इस्तेमाल कर कंपनियों को विदेशों में मूल्य बढ़ाने की अनुमति देना, बशर्ते अतिरिक्त आय को सीधे अमेरिकी रोगियों के लिए कीमत घटाने में निवेश किया जाए।

यदि कंपनी इन शर्तों को पूरा नहीं करती, तो सरकार सभी उपलब्ध साधनों से अमेरिकी परिवारों को दवा की ऊँची कीमतों से बचाएगी, जैसा प्रशासन ने स्पष्ट किया। यह पहल लंबे समय से चली आ रही असमानता को दूर करने की कोशिश करती है, जहाँ अमेरिकी रोगियों को वही दवा विदेशियों से कई गुना अधिक कीमत में खरीदनी पड़ती थी।

बाजार और उद्योग पर तत्काल प्रभाव

बाजार और उद्योग पर तत्काल प्रभाव

घोषणा के बाद शेयर बाजार में हिलजोल मच गया। सन् फार्मा, फ़ायज़र, जॉन्सन एंड जॉन्सन जैसे दिग्गजों के शेयर नीचे गिरते रहे। निवेशकों को डर था कि नई नीति से कंपनी की लाभप्रदता पर बड़ा वार हो सकता है, खासकर उन दवाओं पर जो अभी पेटेंट में हैं और उनका लाभ मार्जिन अधिक है।

इसी बीच, कुछ उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम दीर्घकालिक रूप से दवा विकास में नई चुनौतियाँ खड़ी करेगा। यदि कंपनियों को विदेशी बाजारों में उच्च कीमतें नहीं मिलेंगी, तो वे अनुसंधान एवं विकास (R&D) के बजट में कटौती कर सकती हैं। दूसरी ओर, रोगी समूह और उपभोक्ता संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया, क्योंकि अंततः यह दवा पहुँच को अधिक न्यायसंगत बनाता है।

केन्द्रीय मेडिकेयर और मेडिकेड सर्विसेज (CMS) को भी इस नीति को लागू करने का आदेश मिला है, जबकि वह अभी भी इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट के तहत चल रहे मेडिकेयर दवा मूल्य वार्ता कार्यक्रम को जारी रखेगा। इससे नीति के दोहरे प्रभाव—एक तरफ़ कीमत घटाना और दूसरी तरफ़ मौजूदा वार्ता ढांचे को बनाये रखना—का एक जटिल परिदृश्य बनता है।

भविष्य में इस नीति के कार्यान्वयन की दिशा, औद्योगिक प्रतिक्रिया और संभावित कानूनी चुनौतियों को देखना बाकी है। फिलहाल, बैंकर, निवेशक और रोगी सभी इस नई दिशा के विकास को नज़रंदाज़ नहीं कर रहे हैं।

8 टिप्पणि

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    Dhananjay Khodankar

    सितंबर 27, 2025 AT 16:04
    ये नीति तो सच में बड़ी बात है। अमेरिका में दवाएं इतनी महंगी क्यों होती हैं? हम भारत में भी इनकी जगह ले लेते हैं। अब तो ये नीति सबके लिए फायदेमंद होगी।
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    shyam majji

    सितंबर 29, 2025 AT 01:38
    फार्मा कंपनियां तो अब बस रोएंगी
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    shruti raj

    सितंबर 29, 2025 AT 10:59
    अरे भाई ये सब एक बड़ा धोखा है! ट्रम्प ने ये क्यों किया? क्या वो भारत जैसे देशों की दवाओं को चुराना चाहता है? अगर ये नीति चल गई तो हमारे देश की दवा निर्यात खत्म हो जाएगी! ये अमेरिका का नया आर्थिक उपनिवेशवाद है 😡
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    Khagesh Kumar

    सितंबर 30, 2025 AT 16:15
    इसका असली फायदा मरीजों को होगा। जिनके पास 5000 रुपये भी नहीं होते उनके लिए ये बचत जिंदगी बचा सकती है। दवाओं की कीमतें तो अब तक बाजार के हिसाब से नहीं बल्कि लाभ के हिसाब से तय हो रही थीं।
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    Ritu Patel

    अक्तूबर 1, 2025 AT 20:17
    ये सब बकवास है। अगर दवाएं सस्ती हो गईं तो कौन नया दवा बनाएगा? अमेरिका अपने नागरिकों को बचाने के नाम पर दुनिया के नए दवा विकास को खत्म कर रहा है। अब तो हम भी अपनी दवाएं अमेरिका के लिए नहीं बेचेंगे। ये नीति एक बड़ा गलत कदम है।
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    Deepak Singh

    अक्तूबर 2, 2025 AT 02:27
    यह नीति, जिसे ऑर्डर 14297 के तहत जारी किया गया है, वास्तव में एक व्यापक और संरचित प्रयास है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी स्वास्थ्य व्यय को नियंत्रित करना है। यह MFN दृष्टिकोण, जो विकसित देशों की कीमतों के आधार पर काम करता है, एक आर्थिक न्याय का सिद्धांत है। इसके विरुद्ध विरोध करने वाले लोग अक्सर लाभ मार्जिन के बारे में सोचते हैं, लेकिन वे इस बात को नज़रअंदाज़ करते हैं कि रोगी अपनी जिंदगी के लिए भुगतान कर रहे हैं।
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    Rajesh Sahu

    अक्तूबर 2, 2025 AT 09:42
    अमेरिका ने भारत की दवा उद्योग को बचाने के लिए ये कदम उठाया है! हम भारतीय दवाएं दुनिया की सबसे सस्ती हैं। अब वो अपने लोगों के लिए इसी कीमत पर देंगे! ये ट्रम्प ने भारत के लिए एक बड़ा काम किया है! जय हिंद! 🇮🇳🔥
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    Chandu p

    अक्तूबर 3, 2025 AT 09:32
    अच्छा हुआ! भारत जैसे देश दवा बनाते हैं और अमेरिका उन्हें गलत तरीके से महंगा बेचता था। अब ये नीति दुनिया को सही दिशा दे रही है। हमारी दवाएं अब ज्यादा नहीं बिकेंगी, लेकिन लाखों अमेरिकी जिंदा रहेंगे। ये न्याय है। 💪❤️

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