टाटा कैपिटल का ₹15,512 करोड़ IPO सार्वजनिक बिडिंग शुरू, 38% सब्सक्रिप्शन

टाटा कैपिटल का ₹15,512 करोड़ IPO सार्वजनिक बिडिंग शुरू, 38% सब्सक्रिप्शन अक्तू॰, 6 2025

जब टाटा कैपिटल ने अपना बड़े पैमाने का आईपीओ Monday, 6 अक्टूबर 2025 को सार्वजनिक बिडिंग के लिए खोला, तो वित्तीय बाजार की धड़कन तेज़ हो गई। यह ऑफ़र भारत की अब तक की सबसे बड़ी NBFC (नॉन‑बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) सार्वजनिक पेशकश बन गई, जहाँ कुल जुटाने का लक्ष्य ₹15,512 करोड़ तय किया गया था।

ऑफ़र की बिडिंग टाटा कैपिटल आईपीओभारत के तहत 6 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक चली, और शेयरों की लिस्टिंग 13 अक्टूबर को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंजनेशनल स्टॉक एक्सचेंज दोनों पर तय की गई थी।

इस आईपीओ की संरचना दो हिस्सों में बाँटी गई: 21 करोड़ ताज़ा इश्यू शेयर (₹6,846 करोड़) और 26.58 करोड़ ऑफ़र‑फॉर‑सेल (OFS) शेयर (₹8,666 करोड़)। प्रमुख प्रमोटर टाटा सन्स ने 23 करोड़ शेयर बेचें, जबकि इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (IFC) ने 3.58 करोड़ शेयर इस ऑफ़र में शामिल किए।

आईपीओ का विस्तृत विवरण

शेयर की मूल्य बैंड ₹310‑₹326 के बीच निर्धारित की गई और न्यूनतम लॉट साइज 46 शेयर रखा गया, जिससे न्यूनतम निवेश ₹14,996 (ऊपरी बैंड) से शुरू होता है। बिडिंग शुरू होने के पहले ही घंटे में 15% सब्सक्रिप्शन हासिल हुआ, और दिन‑समाप्ति पर यह संख्या 38% तक पहुंच गई। ग्रे‑मार्केट प्रीमियम (GMP) लगभग 3‑4% पर स्थिर रहता, जबकि ट्रेडिंग में प्रीमियम ₹8‑₹10 के आसपास गूँज रहा था, जो निवेशकों की सावधानीपूर्वक आशावाद को दर्शाता है।

सार्वजनिक बिडिंग से पहले कंपनी ने 135 एंकर निवेशकों से लगभग ₹4,641 करोड़ जुटाए थे। इनमें जीवन बीमा निगम (LIC) सबसे बड़ा एंकर बनकर सामने आया, जिसने इस ऑफ़र में बड़ी हिस्सेदारी ली।

मुख्य निवेशकों की भूमिका

  • LIC ने कुल एंकर निवेश में लगभग 15% हिस्सेदारी रखी।
  • साथ ही HDFC बैंक, आयुष्मान्य बीमा, और इक्विटी कंपनी सायप्रस के फंड भी उल्लेखनीय योगदानकर्ता रहे।
  • विदेशी संस्थागत निवेशकों में फ्रांस की कॅपिटल ग्रुप और सिंगापुर के ग्रीनविच इन्वेस्टमेंट ने हिस्सेदारी ली, जिससे वैश्विक भरोसे का संकेत मिलता है।

इन एंकर निवेशकों का भरोसा टाटा कैपिटल की मौजूदा बुक‑बिल्डिंग और जोखिम प्रबंधन क्षमता पर आधारित है, जो पिछले पाँच वर्षों में नॉन‑परफ़ॉर्मिंग एसेट (NPA) को 2.4% से नीचे रखे हुए है।

टाटा कैपिटल के वित्तीय लक्ष्य

आईपीओ के बाद, कंपनी के राजीव सबहरवाल (Managing Director & CEO) ने बताया कि ताज़ा पूँजी से टियर‑1 कैपिटल अनुपात 12.8% से बढ़कर 22% से ऊपर पहुंच जाएगा, जबकि लीवरेज अनुपात 5 गुना से नीचे गिरेगा। यह मजबूती कंपनी को उच्च‑मार्जिन वाले उत्पादों – किफायती आवास लोन, माइक्रो‑होम लोन, उपकरण वित्तपोषण और लीजिंग – में एक्सपोजर बढ़ाने की अनुमति देगी।

साथ ही, टाटा समूह के व्यापक इको‑सिस्टम से मिलने वाले क्रॉस‑सेलिंग अवसर, क्लीन‑टेक प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग और MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) सेक्टर में गहरी पैठ, नई पूँजी को तेज़ी से काम में लाने की नींव रखेंगे।

बाजार प्रतिक्रिया और जोखिम

सब्सक्रिप्शन स्तर के बावजूद, कई विश्लेषकों ने इस ऑफ़र को “प्रेम और पैसों का संतुलन” बताया। भारत के भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियामक बदलाव, विशेषकर लेंडिंग न्यूट्रेलिटी और RBI की बेस रेट में संभावित वृद्धि, NBFC सेक्टर के लिए जोखिम कारक बना रहेगा।

दूसरी ओर, फिनटेक कंपनियों और पारंपरिक बैंकों से तीव्र प्रतिस्पर्धा, साथ ही मैक्रो‑इकोनॉमिक स्लो‑डाऊन के कारण मार्जिन दबाव का भी सामना करना पड़ेगा। फिर भी, टाटा ब्रांड की भरोसेमंद छवि और मजबूत कोर पूँजी बैलेंस शीट इसे बाजार में अलग पहचान दिला रही है।

भविष्य की दिशा और विशेषज्ञों की राय

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि टाटा कैपिटल का वैल्यूएशन थोड़ा प्रीमियम पर है, लेकिन उसका जोखिम प्रोफ़ाइल बैलेंस‑शीट की मजबूती के कारण हल्का है। बेंचमार्क के तौर पर, माइक्रो‑फाइनेंस में अग्रणी “मड्रास” और “बाजरंग़ी लोन” के साथ तुलना की गई, जहाँ टाटा का RoE लगभग 14% पर स्थिर है, जबकि प्रतिस्पर्धियों का 9‑10% है।

अगले साल के लिए देखी जाने वाली प्रमुख मीट्रिक में RoE की निरंतरता, GNPA और NNPA में गिरावट, और स्प्रेड रेजिलिएंस शामिल हैं। यदि टाटा कैपिटल इन क्षेत्रों में सतत सुधार कर पाता है, तो यह भारत के NBFC सेक्टर में एक नया मानक स्थापित कर सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

टाटा कैपिटल का आईपीओ छोटे निवेशकों को कैसे प्रभावित करेगा?

न्यूनतम लॉट साइज 46 शेयर और कम से कम ₹14,996 की निवेश राशि तय होने से मध्यम वर्ग के छोटे निवेशकों को भी भाग लेने का मौका मिला। यह सेगमेंट अब टाटा समूह की व्यापक वित्तीय उत्पाद श्रृंखला का लाभ सीधे शेयरधारक के तौर पर उठा सकेगा।

आधारभूत पूँजी बढ़ाने से कंपनी को क्या फायदा होगा?

टियर‑1 कैपिटल अनुपात 22% से ऊपर जाने से नियामक मानकों का बेहतर पालन होगा, जिससे अधिक लोन जारी करने की लाइसेंस सीमा खुल जाएगी। साथ ही लेवरेज घटने से जोखिम भार कम रहेगा, जिससे ब्याज दरों में बदलाव का असर भी सीमित रहेगा।

क्या RBI के नए नियम टाटा कैपिटल को प्रभावित करेंगे?

RBI द्वारा NBFCs के लिए कठोर लिक्विडिटी कवरेज और बेस रेट पर संभावित वृद्धि के नियम लागू होने पर टाटा कैपिटल को अपने पोर्टफोलियो में अधिक सुरक्षित लोन पर शिफ्ट करना पड़ेगा। हालांकि, बढ़ी हुई पूँजी आधार इस जोखिम को शमन करने में मददगार रहेगा।

टाटा कैपिटल के लिए सबसे बड़ा जोखिम क्या है?

बैकग्राउंड में मौद्रिक नीति में बदलाव और फिनटेक खिलाड़ियों की तेज़ी से विस्तार प्रमुख जोखिम हैं। अगर नॉन‑परफ़ॉर्मिंग एसेट्स में अचानक बढ़ोतरी आई, तो मार्जिन दबाव तेज हो सकता है।

आईपीओ के बाद शेयरों की लिस्टिंग कब होगी?

शेयरों की ट्रेडिंग 13 अक्टूबर 2025 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज दोनों पर शुरू होने की योजना है, जिससे शुरुआती निवेशकों को त्वरित बाजार प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है।

1 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Mohammed Azharuddin Sayed

    अक्तूबर 6, 2025 AT 21:29

    टाटा कैपिटल का इतना बड़ा आईपीओ मार्केट में बहुत चर्चित हो रहा है। 38% सब्सक्रिप्शन दर्शाता है कि निवेशकों को अभी भी इस सेक्टर में आकर्षण है। लेकिन लॉट साइज और न्यूनतम इन्वेस्टमेंट थोड़ा ऊँचा है, जिससे छोटे निवेशकों की भागीदारी सीमित रह सकती है। यदि कंपनी टियर‑1 कैपिटल बढ़ाकर लिवरेज घटा देती है, तो लोन पोर्टफोलियो में अधिक लचीलापन आएगा। कुल मिलाकर, यह IPO नयी वित्तीय राहत का संकेत दे सकता है।

एक टिप्पणी लिखें