उत्तरी प्रदेश चुनाव 2022: बीजेपी ने फिर कारवां लहराया, योगी आदित्यनाथ बने दुबारा सीएम
सित॰, 27 2025
परिणाम और सीटों का विस्तृत विवरण
अप्रैल 2022 में कई चरणों में आयोजित उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम 10 मार्च को घोषित किया गया। उत्तरी प्रदेश चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 403 में से 255 सीटें अपने नाम की, जो दो दशक में सबसे बड़ी मौन संख्याओं में से एक है। 2017 के 273 से थोड़ा घटकर भी यह आंकड़ा बहुसंख्यक सरकार के लिये पर्याप्त रहा। राष्ट्रीय जनजातीय गठबंधन (एनडीए) ने सभी गठबंधन पार्टियों के साथ मिलकर 291 सीटें जीतीं।
मुख्य सहयोगी पार्टियों की जीत का विवरण इस प्रकार है:
- अपना दल (सोनिलाल) – 12 सीटें
- निशाद पार्टी – 6 सीटें
- सुहैलदेव भारतीय समाज पार्टी – 6 सीटें
मुख्य विपक्षी स्वरूप में समाजवादी पार्टी ने 111 सीटें प्राप्त कीं जो 2017 की 34 सीटों से एक बड़ी उछाल है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 2 सीटें और बहुजन समाज पार्टी की केवल 1 सीट रह गई, जिससे दोनों दलों के लिये यह चुनाव अभूतपूर्व गिरावट का संकेतक बन गया।
राजनीतिक असर और विश्लेषण
बिजली की तरह जलते इस जीतने के बाद पार्टी और उसके कार्यकर्ता पूरे राज्य में धूमधाम से जश्न मना रहे हैं। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और आगरा की सड़कों पर ढोल-ताशा, मिठाइयाँ बाँटने, और पिचकारी के साथ राजनैतिक थैली लगाने वाले बड़े फोटोग्राफ़ देखे जा रहे हैं। पार्टी कार्यालयों को पीले और लाल फूलों से सजाया गया, और लोटस के प्रतीक हर कोने में झिलमिला रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परिणाम को 2024 के आम चुनावों के लिए एक निर्णायक कदम बताया, "2022 ने 2024 तय कर दिया" कहते हुए पूरी पार्टी को आगे की मोर्चे के लिये प्रेरित किया। राष्ट्रगुरु के इस बयान ने बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर एक नया ऊर्जा स्रोत दिया, जिससे राज्यसभा के चुनावों में भी इस जीत का असर महसूस किया जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों ने कई कारणों को BJP की जीत के पीछे माना। योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा शुरू किए गए कई कल्याणकारी कार्यक्रम – जैसे कि उन्नत स्वास्थ्य मिशन, गरीबों के लिये सब्सिडी योजनाएँ और कृषि सुधार – को मतदाताओं के लिये आकर्षक माना गया। साथ ही, पार्टी की जमीनी स्तर की संगठनात्मक शक्ति, प्रचार‑प्रसार के लिये इस्तेमाल की गई डिजिटल रणनीति और स्थानीय मुद्दों पर तेज़ प्रतिक्रिया को भी सराहा गया।
इसी बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने इस जीत को धर्मनिरपेक्षता के नुकसान, मीडिया के नियंत्रण और धन के दुरुपयोग के रूप में ख़ारिज किया। समाजवादी पार्टी ने परिणामों पर कुछ गड़बड़ियों का आरोप लगाया, लेकिन चुनाव आयोग ने इन दावों को खारिज कर आधिकारिक साफ़-साफ़ परिणाम घोषित किया।
पूर्व कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मात के बाद पार्टी को सीखने का संदेश दिया और कहा कि कांग्रेस को फिर से अपनी जड़ें पकड़नी होंगी। उन्होंने कहा, "जनता का एक स्पष्ट संदेश है, और हमें उसे गंभीरता से लेना होगा।" इस बयान ने तमाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया, पर साथ ही उनकी रणनीति में बदलाव की आवश्यकता भी उजागर हुई।
भौगोलिक दृष्टि से देखें तो भाजपा ने पूर्वी क्षेत्रों से लेकर पश्चिमी उपजिला तक, हर जगह अपना दबदबा दिखाया। यह व्यापक समर्थन पार्टी को भविष्य में राष्ट्रीय मंच पर भी मजबूती से खड़ा करता है, खासकर उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों को देखते हुए। इस जीत ने पार्टी को न केवल सरकार के रूप में बल्कि चुनावी रणनीति में भी एक नया मानचित्र तैयार किया है।
अब देखना बाकी है कि इस जीत पर आधारित बीजेपी किस तरह से अगले चरण में, यानी 2024 के आम चुनाव में, अपना प्रचंड अभियान चलाएगी और क्या वह राजस्व, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर इस जीत को कायम रख पाएगी। उत्तर प्रदेश की यह जीत, भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ बनकर रहने वाली है।
Rajesh Sahu
सितंबर 27, 2025 AT 14:56Chandu p
सितंबर 27, 2025 AT 15:38Gopal Mishra
सितंबर 29, 2025 AT 05:54Swami Saishiva
सितंबर 30, 2025 AT 04:31Swati Puri
सितंबर 30, 2025 AT 07:19megha u
सितंबर 30, 2025 AT 20:13pranya arora
अक्तूबर 2, 2025 AT 19:17Arya k rajan
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अक्तूबर 13, 2025 AT 19:35