सुप्रीम कोर्ट की राहत के बाद सेंटिल बालाजी फिर बनेंगे मंत्री
सित॰, 26 2024
तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंटिल बालाजी को सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत मिलने के बाद वे एक बार फिर से मंत्री बनने के लिए तैयार हैं। जून 2023 में बिजली और निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री के रूप में सेवा करते समय बालाजी को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें शुरू में ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट दोनों से जमानत नहीं मिली थी, जिसके बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत पर कड़ी शर्तें लगाई हैं।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने संकेत दिया है कि राज्य कैबिनेट में कुछ बदलाव हो सकते हैं। यह संभव है कि बालाजी की रिहाई के बाद उनके पूर्व के पोर्टफोलियो - बिजली, गैर-संविधानिक ऊर्जा विकास, निषेध और उत्पाद शुल्क, और शीरा - जो अन्य मंत्रियों को दे दिए गए थे, उन्हें वापस बालाजी को सौंपा जाएगा।
स्टालिन ने बालाजी की रिहाई पर अपनी खुशी व्यक्त की और सोशल मीडिया पर लिखा कि वर्तमान स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ही एकमात्र राहत है, जहां प्रवर्तन विभाग का दुरुपयोग कर राजनीतिक विरोधियों को दबाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आपातकाल के दौरान भी किसी को इतने लंबे समय तक जेल नहीं भेजा गया था।
यह दूसरा मौका है जब किसी मंत्री को कानूनी समस्याओं का सामना करने के बाद फिर से शपथ दिलाई जा रही है। इससे पहले के पोनमुडी को उच्च शिक्षा मंत्री के तौर पर दोबारा नियुक्त किया गया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनके असंगत संपत्ति के मामले में उनकी सजा और सजा को निरस्त कर दिया था।
बालाजी की गिरफ्तारी और जमानत
बालाजी की गिरफ्तारी और उनकी जमानत की प्रतिक्रिया विशेष थी, जब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि बालाजी को कैबिनेट से हटा दिया जाए और बाद में मुख्यमंत्री की सिफारिश के बिना उन्हें मंत्रि परिषद से हटा दिया। राज्य सरकार ने एक आदेश पास किया था जो बालाजी को बिना किसी पोर्टफोलियो के मंत्री बने रहने की अनुमति देता था, जिसे बाद में राज्यपाल ने पलट दिया।
राजनीतिक प्रभाव
सेंटिल बालाजी की इस पुन: वापसी का तमिलनाडु की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह घटना दर्शाती है कि राजनीति में कानूनी मामलों और अदालती निर्णयों का कितना महत्व होता है। डीएमके सरकार ने बालाजी पर विश्वास जताकर यह संदेश दिया है कि वह अपने नेताओं के प्रति वफादार है।
तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य में यह मामला अन्य नेताओं के लिए एक उदाहरण के रूप में भी देखा जा सकता है। विपक्षी दल इस बात का दबाव बना सकते हैं कि सत्ता पक्ष के नेताओं को कानूनी प्रक्रिया में राहत मिलती है जबकि उनके नेता अक्सर लंबी कानूनी लड़ाइयों में उलझे रहते हैं।
कानूनी प्रक्रिया और इसके प्रभाव
बालाजी के मामले ने यह भी दिखाया कि कैसे कानूनी प्रक्रिया राजनीतिक करियर को प्रभावित कर सकती है। अदालतों के फैसले से राजनीतिक भविष्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है और यह भी दिखाता है कि कैसे कानूनी लड़ाइयों में समय और संसाधन खर्च हो जाते हैं।
बालाजी की भविष्य की भूमिका
अब जब वी सेंटिल बालाजी एक बार फिर मंत्री बनने जा रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने पिछले कार्यकाल से क्या सीखते हैं और अपने नए कार्यकाल में क्या बदलाव लाते हैं।
चुनौतियाँ और अवसर
अब बालाजी के सामने चुनौतियों और अवसरों की कोई कमी नहीं होगी। उन्हें अपने विभागों को फिर से व्यवस्थित करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पिछले कार्य की छवि उनकी नई जिम्मेदारियों पर असर न डाले।
संपूर्ण रूप से, बालाजी की यह वापसी तमिलनाडु की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है और इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। डीएमके सरकार के लिए यह एक बड़ा अवसर है कि वह अपने नेताओं के प्रति वफादारी दिखाए और यह भी प्रदर्शित करे कि वह अपने कैबिनेट में अनुभव और निष्ठा को महत्व देती है।
आगे आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बालाजी कैसे अपनी नई भूमिका में सफल होते हैं और तमिलनाडु की राजनीति को किस दिशा में ले जाते हैं।
Swati Puri
सितंबर 28, 2024 AT 07:03इस फैसले से सिर्फ बालाजी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक न्याय के सिस्टम की एक बड़ी बात सामने आती है। जब एक मंत्री को इतने लंबे समय तक जेल में रखा जाए, तो ये दिखाता है कि ED का इस्तेमाल किस तरह से पॉलिटिकल टारगेटिंग के लिए हो रहा है। जमानत के बाद भी अगर वो वापस आ गए, तो ये डीएमके की स्ट्रैटेजी का हिस्सा है - लॉयल्टी को रिवॉर्ड करना।
कानूनी प्रोसेस में देरी अक्सर अदालतों की भी होती है, लेकिन यहां तो एजेंसी की भी बहुत ज्यादा लंबी लड़ाई है। अगर ये मामला किसी विपक्षी का होता, तो शायद आज भी जेल में होता।
megha u
सितंबर 29, 2024 AT 08:05ED के लोग तो अब राजनीति के लिए बन गए हैं 😏 जेल में डाल दो, फिर जमानत मिल जाए, फिर वापस मंत्री बन जाए - ये तो सीरीज़ है न? स्टालिन भी बोल रहे हैं ‘सुप्रीम कोर्ट ही राहत’... यानी दूसरे कोर्ट तो बस फॉर्मलिटी हैं।
अगला जो आएगा, उसके खिलाफ भी यही स्क्रिप्ट चलेगी। कोई भी नेता जो बड़ा होगा, उसके खिलाफ एक ना एक मामला बन जाएगा। ये तो सिस्टम है, अब बात नहीं है।
pranya arora
सितंबर 30, 2024 AT 13:31इस बात को सोचना जरूरी है कि क्या अदालतें वास्तव में न्याय कर रही हैं, या बस एक बड़ा रियलिटी शो चल रहा है? जब एक व्यक्ति को दो साल तक जेल में रखा जाता है, और फिर उसकी जमानत मिल जाती है, तो ये न्याय की बात नहीं, बल्कि समय की बात बन जाती है।
क्या वाकई हम इस तरह के नेताओं को वापस लौटाना चाहते हैं? या फिर ये सिर्फ एक संकेत है कि शक्ति का रिश्ता कानून से ज्यादा राजनीति से जुड़ा है? मुझे लगता है कि हमें इस सवाल को अलग से चर्चा करनी चाहिए - न कि बस फैसले की तारीफ करनी चाहिए।
क्या हम वाकई इस तरह के नेताओं को फिर से बनाना चाहते हैं? या फिर ये सिर्फ एक बड़ा नियम है - जो जीत गया, उसे वापस दे दो?
मैं नहीं जानती कि ये सही है या नहीं। लेकिन इस बात का एहसास होना चाहिए कि हमारी राजनीति अब न्याय के बजाय शक्ति के खेल में बदल गई है।
Arya k rajan
अक्तूबर 1, 2024 AT 02:33मैंने सोचा था कि ये सिर्फ एक अस्थायी राहत होगी, लेकिन अब देख रहे हैं कि वो वापस आ रहे हैं। बालाजी का अनुभव बहुत ज्यादा है, और अगर वो अपने विभागों को सही तरीके से चला पाएं, तो ये अच्छी बात है।
लेकिन एक बात साफ है - अगर इस तरह के मामलों में हर बार जमानत मिल जाए, तो लोगों को लगने लगेगा कि कानून बस एक शब्द है। असली सवाल ये है कि एजेंसी अब तक क्यों इतनी धीमी रही?
अगर ये मामला एक आम आदमी का होता, तो क्या वो इतना आसानी से बाहर निकल पाता? मुझे नहीं लगता।
Sree A
अक्तूबर 2, 2024 AT 17:21जमानत की शर्तें बहुत कड़ी हैं - बॉन्ड, अकाउंट फ्रीज, यात्रा प्रतिबंध। ये सिर्फ फॉर्मलिटी नहीं, बल्कि एक सिग्नल है कि कोर्ट ने उन पर विश्वास नहीं किया।
फिर भी मंत्री बनाना एक राजनीतिक फैसला है - जो कानूनी नहीं, बल्कि पार्टी के लॉयल्टी के आधार पर है।
DEVANSH PRATAP SINGH
अक्तूबर 4, 2024 AT 10:04इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि बालाजी की वापसी ने डीएमके के अंदर एक नया नेतृत्व संकेत दिया है। जो लोग बार-बार गिरफ्तार होते हैं, लेकिन वापस आ जाते हैं, वो एक तरह के इको-सिस्टम का हिस्सा हैं।
इसलिए ये फैसला सिर्फ एक नेता के लिए नहीं, बल्कि एक पार्टी के नेतृत्व के ढांचे के लिए भी महत्वपूर्ण है।
SUNIL PATEL
अक्तूबर 5, 2024 AT 07:54कानून का अनादर करने वालों को वापस बनाना देश के लिए खतरनाक है। जमानत मिल गई तो अब बालाजी मंत्री? ये बात बहुत बुरी है।
अगर इस तरह के लोगों को फिर से शपथ दिलाई जाएगी, तो भविष्य में और भी बड़े अपराधी बनेंगे। ये न्याय नहीं, ये अन्याय है।
Avdhoot Penkar
अक्तूबर 6, 2024 AT 21:58अरे यार, ये सब तो बस नाटक है 😅 जेल जाना तो अब राजनीति का पार्टी टिकट हो गया है।
कोई भी नेता जिसके पास बैंक अकाउंट है, उसके खिलाफ ED आ जाता है। फिर जमानत मिल जाती है, और वो वापस आ जाता है - अब बिजली का मंत्री बन गया, अगला चलो आयकर विभाग चलाएं!
Akshay Patel
अक्तूबर 7, 2024 AT 14:45इस तरह के लोगों को वापस लाना देश के लिए शर्म की बात है। कानून के खिलाफ काम करने वाले को अब मंत्री बनाया जा रहा है? तमिलनाडु की राजनीति का अंत आ गया है।
जब तक ये लोग अपने अपराधों से बच जाते हैं, तब तक देश का न्याय बेकार है।